भले ही आंनदपाल एनकाउंटर से एक दिन पहले ही राजस्थान आया था, लेकिन उसके आने की खबर एसओजी को सात दिन पहले ही मिल गई थी, इसकी चलते उसकी घेराबंदी की गई।
एनकाउंटर से पहले आनंदपाल का एसओजी की टीम पिछले एक माह से पीछा कर रही थी। टीम ने 24 जून, 2017 को आनंदपाल के भाई विक्की और गुर्गे देवेन्द्र उर्फ गट्टू को हरियाणा में पकड़ा था। सिरसा गई टीम में उप अधीक्षक विद्याप्रकाश, निरीक्षक सूर्यवीर सिंह, एसओजी के कांस्टेबल हरिराम व दो स्पेशल कमांडो थे। दोनों ने पूछताछ में आनंदपाल के श्रवण सिंह के घर में होने का बताया था। एसओजी की टीम ने तुरन्त रात को ही मालासर गांव पहुंच गई।
पुलिस से घिरा देख आनन्दपाल ने दो एके-47 से लगातार गोलीबारी की। आनंदपाल ने पुलिस पर सौ से अधिक गोलियां दागी। पुलिस टीम ने भी लगातार फायरिंग की। दोनों तरफ से लगातार करीब एक घंटे तक फायरिंग हुई। फायरिंग के बाद गोली लगने से आनंदपाल की मौत हो गई।
एक बार फिर आंनदपाल की घेराबंदी और एनकाउंटर में एसओजी के दो एएसपी की भूमिका अहम रही। एएसपी संजीव भटनागर 2012 में फागी में आनंदपाल को पकडऩे वाली टीम में शामिल थे, जबकि करन शर्मा ने हाल में ही हाईप्रोफाइल ब्लैकमेलिंग गिरोह का खुलासा किया था। एएसपी संजीव भटनागर को ऑपरेशन आनंदपाल के लिए तैनात किया गया था।