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नई दिल्ली. सरकार के स्वामित्व वाली तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) ने सात सफल बोलीदाताओं को 49 सीमांत तेल एवं गैस क्षेत्र सौंपे हैं। ये क्षेत्र गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और असम में 13 अनुबंधित इलाकों में फैले हुए हैं। ओएनजीसी ने अपने एक बयान में कहा, हाल में 64 सीमांत क्षेत्रों से उत्पादन के लिए भागीदार तलाशने के संबंध में बोली प्रक्रिया आयोजित की गई थी। इच्छुक कंपनियों ने उन 17 ऑनशोर अनुबंधित क्षेत्रों के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया में हिस्सा लिया था जिनमें तेल एवं गैस उत्पादन करने वाले क्षेत्र शामिल हैं। इन क्षेत्रों को आवंटित किए जाने से इनसे उत्पादन बढ़ाया जाएगा। इन 64 क्षेत्रोंं में 30 करोड़ टन तेल एवं तेल के बराबर प्राकृतिक गैस भंडार हैं। बोली प्रक्रिया के राउंड में शामिल हुईं 13 कंपनियां थीं दुगांता ऑयल एंड गैस, ऑयलमैक्स, दीप इंडस्ट्रीज, द्रविड़ पेट्रोलियम, हर्मेस टेक, शिवम क्रशर, एलएनजी भारत, उदयन ऑयल सॉल्युशंस, प्रिजर्व इन्फ्रा, सिंडिकेट, एमऐंडएस को., एडवेंड ऑयलफील्ड्स और ओडि़शा स्टीवेडोरस।
लंबे समय से थी रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ बढ़ाने की मांग
नई दिल्ली. देश का रक्षा क्षेत्र में यह रिफॉर्म बहुत पहले की कर देना चाहिए था। दरअसल जब 49 फीसदी की एफडीआइ सीमा में कोई भी अच्छी कंपनी भारत आने को तैयार नहीं थी, इसलिए सरकार ने इसमें एफडीआइ की सीमा को बढ़ाकर 74 फीसदी करने की घोषणा की है। दरअसल बीते 72 सालों से देश रक्षा क्षेत्र से जुड़ें उपकरण, हथियार आदि सब बाहर से ही खरीद रहा है। इसे ऐसा कह सकते हैं कि अब कई कंपनियां भारत में आना चाहेगी और इस क्षेत्र में 72 सालों से जो लॉकडाउन लगा हुआ था, वो खत्म हो सकेगा। जहां तक सरकार ने ऑर्डिनेंश फैक्ट्रियों में कॉर्पोरेटाइजेशन की बात कही है वो इसलिए कि ऑर्डिनेंश फैक्ट्रियों को शुरू से ही दूध देने वाली गाय माना जाता रहा है। और सरकार जानती है अगर इसमें भी कॉर्पोरेटाइजेशन की जाए तो रेवन्यु में कई गुना इजाफा देखने को मिल सकता है। इस सेक्टर में प्राइवेट कंपनियों को लाना बहुत जरूरी था, क्योंकि हम अपने यहां तो कुछ कर नहीं पा रहे थे, लेकिन जब देश के बाहर से किसी निजी कंपनी से ही सामान या उपकरण मंगाना है तो क्यों न हम खुद ही निर्माण शुरू कर दें।
Published on:
17 May 2020 05:34 pm
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