इयर फोन के उपयोग से बच्चों के कानों में इन्फेक्शन व दर्द की शिकायत बढ़ी
जयपुर
Updated: March 05, 2022 10:26:43 am
जयपुर
बच्चों की आंख ही नहीं बल्कि ऑनलाइन क्लास का इफेक्ट उनके कानों पर भी पड़ा हैं। ऑनलाइन क्लास के दौरान इयर फोन के उपयोग से बच्चों के कानों में इन्फेक्शन व दर्द की शिकायत बढ़ी है। सवाई मानसिंह अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में इस तरह के मरीज आए है जो लंबे समय तक इयर फोन का उपयोग कर रहे थे और अब उनके कानों में समस्या होने लगी हैं। SMS अस्पताल के इएनटी विभाग के प्रोफेसर डॉ.मोहनीश ग्रोवर ने बताया कि कोविड काल में ऑनलाइन क्लास लेने का बच्चों में चलन बढ़ा था। बच्चों की जब घरों में क्लास हुई तो अधिकत्तर ने इयरफोन व हेडफोन का प्रयोग किया। इयरफोन के साथ यह समस्या होती है कि वह प्रत्येक इंसान के कान के साइज के हिसाब से नहीं बने होते है। इसलिए वह सभी के कानों के लिए सहज नहीं होते है।लंबे समय तक इयरफोन लगाने से बच्चों के कान में हवा का जाना बंद हो जाता है। जिस कारण से कान के अंदर का तापमान बढ़ने से दिमाग से लेकर कान गर्म होने की शिकायत बढ़ी और बच्चों में कान दर्द,खुजली और कान बंद होने की समस्याएं सामने आने लगी है।रोजाना एसएमएस अस्पताल की ओपीडी में इस तरह के मरीज आ रहे है जिन्हें घंटो तक हेडफोन और इयरपॉड का इस्तेमाल करने से इस तरह की शिकायतें बढ़ी हैं।
सुनने की क्षमता में भी आई कमी
कई देर तक हेडफोन और इयरपॉड को तेज में सुनने से कानों में सुनाई देने की क्षमता पर भी असर पड़ा है। डॉ.मोहनीश ग्रोवर का कहना है इयरफोन से ज्यादा ठीक हेडफोन का उपयोग करना रहता है। वहीं किसी भी तरह के डिवाइस को धीमी आवाज में ही सुने। अगर 50 डेसीबल से ज्यादा की आवाज में इयरफोन लगाकर सुनते है तो कानों में सुनाई देने की क्षमता पर असर पड़ने लगता है।इसलिए धीमी आवाज में ही सुनना चाहिए।समय समय पर थोड़ी थोड़ी देर में डिवाइस को कान निकाल देना चाहिए और कानों में हवा को जाने देना चाहिए। जिससे की कान का तापमान नहीं बढ़े। अगर इयरफोन के बदले नॉयज कैंसिलेशन हेडफोन या स्पीकर का प्रयोग करे तो ठीक रहेगा।हो सके तो धीमी आवाज में एक घंटे से ज्यादा इयरफोन का प्रयोग नहीं करें। अगर जरूरी ही हो तो लगातार प्रयोग करने की जगह डिवाइस को बार बार हटाते रहे और कान के तापमान को नॉर्मल रखे तो कानों में होनी वाली समस्याओं से बचा जा सकता है। कान में दर्द या बंद होने जैसी शिकायत बढ़ती है तो इसे हल्के में नहीं लेकर चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
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