
Swami Rambhadracharya: बालाजी गोशाला संस्थान, सालासर एवं विद्याधर नगर स्टेडियम आयोजन समिति की ओर से स्टेडियम में आयोजित नौ दिवसीय राम कथा में स्वामी रामभद्राचार्य ने भगवान राम से जुड़े कई गूढ़ रहस्य बताए। उन्होंने कहा कि कश्मीर हमारे देश का अभिन्न अंग है। इसे कोई अलग नहीं कर सकता। जब तक जगदगुरु रामभद्राचार्य का यह त्रिदंड रहेगा। भारत की ओर कुदृष्टि रखने वालों की आंख निकाल कर रख दी जाएगी। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने देश को एक करने का काम किया था, लेकिन हमारे देश का दुर्भाग्य देखिए कि पहले प्रधानमंत्री ने देश को बांटने का काम कर दिया। कश्मीर हमारे भारत का मुकुटमणि है।
जयपुर में स्वामी ने कहा कि आजकल बच्चों का नाम कुछ भी रख देते है। पहले बड़े लोग जो बच्चों का नाम रख देते थे। बच्चों में वह गुण आ जाता है। मेरी माता ने बचपन में मेरा नाम गिरिधर लाल रखा था। इसका अर्थ है पर्वत को उठाने वाला। मैंने पत्थर वाला पर्वत धारण नहीं किया, लेकिन दिव्यांगों को देश में सम्मान दिलवाने का काम किया।
ज्योतिष मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के कश्मीर में धारा 370 बहाल करने को लेकर दिए गए बयान पर रामभद्राचार्य ने कहा कि अभी एक व्यक्ति का बयान आया है उससे मैं काफी दुखी हुआ। वह खुद को शंकराचार्य कहता है। मैं कहूंगा वह शंकराचार्य भी नहीं है। वह मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है। उस व्यक्ति ने बयान दिया कि कश्मीर में धारा 370 बहाल कर दी जाए। धारा 370 खिलौना है या जो बहाल कर दो।
उन्होंने कहा कि कश्मीर में धारा 370 कभी नहीं लाई जाएगी। थोड़े दिन में ही पाक अधिकृत कश्मीर भी हमारा होगा और अब वह दिन भी दूर नहीं जब विश्व के नशे से पाकिस्तान का नामो निशान मिट जाएगा। जो लोग धारा 370 की बात करते हैं, न उनको संविधान का ज्ञान है, न ही कश्मीर से धारा 370 हट गई उसके बारे में। धारा 370 हटने के बाद देश का कोई भी नागरिक अब कश्मीर में जमीन खरीद सकता है।
राम कथा मर्मज्ञ कुमार विश्वास ने कहा कि 500 वर्षों बाद भगवान राम को अपने श्री विग्रह में देखा है। उसी प्रकार त्रिलोक के छोटे ठाकुर जो मथुरा में विराज रहे हैं, वह भी स्वतंत्र भाव से विराजें ऐसी कामना है। कार्यक्रम संयोजक राजन शर्मा व आयोजन समिति सचिव अनिल संत ने बताया कि किन्नर अखाड़ा प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, काशी विश्वनाथ के पुजारी श्रीकांत मिश्र व देवस्थान बोर्ड के अध्यक्ष भंवरलाल पुजारी ने आरती की।
Updated on:
11 Nov 2024 11:16 am
Published on:
11 Nov 2024 11:10 am
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