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Patrika Book Fair: साहित्य के ऐसे मेले लौटा रहे किताबों का दौर, बच्चे भी पढ़ेंगे तो बदलाव दिखेगा

Patrika Book Fair 2025: मेले में बच्चे हाथों में किताबें लेकर घूम रहे हैं, यह इस आयोजन की सफलता को बताता है।

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जयपुर

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Alfiya Khan

Feb 17, 2025

book fair

जयपुर। साहित्य के मेलों से किताबों का दौर लौट रहा है और अभी यह परवान पर है। ई-किताबों के भी फायदे हैं, लेकिन इसका उपयोग सीमित होना चाहिए। यह बात शनिवार को जवाहर कला केंद्र स्थित शिल्प ग्राम में पत्रिका बुक फेयर के दौरान आयोजित सत्र बुक्स, आइडियाज एंड डिजिटल इकोसिस्टम में चर्चा के दौरान सामने आई।

वरिष्ठ पत्रकार ओम धानवी ने कहा कि किताब पढ़ने के लिए एकांत, शांति और रुचि होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पढ़ने से भाषा बेहतर होती है। किताबें आपको बदल देती है। बच्चे भी पढ़ेंगे तो बदलाव दिखेगा। अभी बच्चे टीवी और मोबाइल देख रहे है। जबकि, बेहतर इंसान बनाने में किताबें मदद करती हैं। कहानीकार पवन झा ने कहा कि मेले में बच्चे हाथों में किताबें लेकर घूम रहे हैं। यह इस आयोजन की सफलता को बताता है। ऐसे आयोजन की जरूरत है। आज के दौर में लोग इवेंट को एंजॉय करना चाहते हैं।

तकनीक ने किया दिमाग घर कब्जा

झा ने कहा कि तकनीक ने पहले दखल दिया और अब दिमाग पर कब्जा कर लिया। यहां से दिक्कत शुरू हो गई। किताबें पढ़ने से दिमाग खुलता है। विजुअल ऐसा नहीं है। कचरे की श्रेणी का लेखन खूब बिक रहा थानवी ने कहा कि हिन्दी में कचरे की श्रेणी की चीजें लिखी जा रही हैं, इनकी बिक्री भी खूब हो रही है।

खराब फिल्में देखी जाती हैं। सोशल मीडिया के दौर में यह सब बेचना आसान हो गया है। साहित्य तो शेक्सपियर, निराला, अज्ञेय और महादेवी वर्मा का है। जब इनका साहित्य पढ़ते हैं तो खुद का कद ऊंचा करना पड़ता है। गंभीर कवियों की समाज में जगह नहीं रही है। समाज में विवेक पैदा करना हमारा वायित्व है। अतीत में जीने वाला इंसान नहीं बनना चाहिए। पढ़ने के लिए तकनीक का उपयोग करना चाहिए।

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