
जयपुर। देश में साइबर ठग हाईटेक होते जा रहे हैं और ठगी के नए-नए तरीके अपना रहे हैं। देश के सरकारी, निजी संस्थानों के डेटा चोरी होने के साथ बैंक खातों पर साइबर अटैक तेजी से हो रहे हैं। वर्तमान में सबसे अधिक साइबर ठगी सेक्सटॉर्शन, डिजिटल अरेस्ट और शादी के कार्ड व अन्य लिंक भेजकर की जा रही है। जागरुकता की कमी के कारण साइबर ठग भोले-भाले लोगों को आसानी से शिकार बना रहे हैं। आलम यह है कि साइबर ठग देश में रोजाना करोड़ों रुपए इधर-उधर कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में डिजिटल अरेस्ट के 471 केस इसी वर्ष सामने आ चुके हैं। राजस्थान में इस अवधि में 26 मामले दर्ज किए गए।
3 अगस्त 2024 को साइबर ठगों ने कोटा निवासी बुजुर्ग ब्रजमोहन शर्मा से एक लाख रुपए की ठगी की थी। इसकी शिकायत महावीर नगर थाने में मिलने के बाद पुलिस ने उनके बैंक खाते को फ्रीज करवा ठगी गई रकम लौटाई। कोटा निवासी प्रखर आनंद से 12 जून को ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल के नाम से 21 हजार की ठगी की गई। ऐसे ही बोरखेड़ा में महिला अचला से 82 हजार की ठगी की गई। ठगों ने खुद को रिश्तेदार बता बातों में उलझा लिया था। दोनों मामलों में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए साइबर हेल्प डेस्क की मदद से ठगी की राशि को होल्ड करवाया। दोनों पीड़ितों के खाते में रुपए रिफंड करवाए।
1. गोल्डन आवर्स में पैसा मिलने की उम्मीद: राजस्थान में 1930 नंबर डायल करने पर जयपुर कमिश्नरेट व रेंज हेडक्वार्टर में कॉल टेकर रिसीव करता है, ठगी होने के बाद एक से दो घंटे के अंदर शिकायत की जाए तो रकम रिकवर होने की अधिक उम्मीद रहती है
2.ठगी से संबंधित जानकारी पूछी जाती: पुलिस का रिसीवर ठगी के शिकार व्यक्ति से बैंक अकाउंट, ट्रांजेक्शन आइडी, रेफरेंस आइडी, यूटीआर नंबर, दिनांक व समय और पैसा बैंक अकाउंट, कार्ड से या फिर यूपीआइ नंबर की जानकारी लेता है। इसके बाद सभी जानकारी नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर अपडेट करता है।
3.बैंकों को भेजी जाती जानकारी: नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर जानकारी अपडेट करने के साथ वह बैंकों के पास पहुंच जाती है।
4.समय रहते सूचना पर रकम फ्रीज करवाते: बैंक ठगी की रकम एक खाते से दूसरे खाते या फिर जितने खातों में ट्रांसफर होती है, उनकी तस्दीक करते हैं। रकम जिस भी बैंक खाते में होती है, उसे फ्रीज कर देते हैं और रकम पीड़ित को वापस मिल जाती है।
5.फिर गुमराह हो जाते पीड़ित: ठग रकम को बैंक खातों से निकाल ले या फिर फ्रीज कर दे इसके बाद ठगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पोर्टल के जरिए शिकायत संबंधित थाने को ऑनलाइन भेज दी जाती है। उधर, थाना पुलिस एफआइआर दर्ज करने की बजाय शिकायत का प्रिंट पीड़ित को देकर रिपोर्ट होना बता देती है। जबकि पुलिस को एफआइआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए, जो कुछेक मामलों में ही की जाती है। राजस्थान में पौने दो वर्ष में हेल्पलाइन नंबर पर 87501 ठगी की शिकायत दर्ज करवाई गई और इसमें 349 करोड़ रुपए ठगी होना बताया गया। जबकि पुलिस ने 6615 एफआइआर ही दर्ज की।
सेक्सटॉर्शन: ठगी के लिए अनजान नंबर से अधिकांश वीडियो कॉल देर रात या फिर अलसुबह आते हैं। यह वह समय होता जब आप उनींदे होते हैं। स्क्रीन पर महिला का अश्लील वीडियो होता है और आप उसे कुछ पल के लिए देखते हैं या फिर उसके कहे अनुसार करते हैं। उस दौरान अश्लील वीडियो के साथ ठग गिरोह आपकी हरकतों को वीडियो में रिकॉर्ड कर लेता है। इसके बाद शुरू होता है ब्लैकमेलिंग-धमकी का खेल।
ऐसे बचें : अनजान नंबर से आने वाले वीडियो कॉल रिसीव नहीं करें। यदि रिसीव करना है तो सेल्फी कैमरे को कवर कर लें, ताकि आपका वीडियो रिकॉर्ड न हो सके। अनजाने में वीडियो बन भी जाए तो घबराएं नहीं। अपने जिले की साइबर सैल में संपर्क कर रिपोर्ट दर्ज करवाएं। इससे सोशल मीडिया पर वीडियो को पहले ही ब्लॉक कर दिया जाएगा।
राजस्थान में गत तीन वर्ष में सेक्सटॉर्शन के 710 प्रकरण दर्ज करवाए जा चुके। इस अवधि में पीड़ितों से ठग 4 करोड़ 26 लाख रुपए से अधिक की रकम वसूल चुके। मध्य प्रदेश से डराने वाली तस्वीर सामने आ रही है। मध्य प्रदेश में इस साल ही 1171 सेक्सटॉर्शन के मामले सामने आ चुके हैं।
शादी का कार्ड व लिंक: सोशल मीडिया पर परिचित बनकर शादी कार्ड व अन्य लिंक भेजकर ठगी हो रही है। लिंक पर आपके बैंक खाता सहित व्यक्तिगत जानकारी मांगी जाती है। यहां तक कि लिंक ओपन करने पर आपके मोबाइल का क्लोन बना लेते हैं। फिर ठग बैंक खाते को खाली कर देते हैं।
ऐसे बचें : पहले सुनिश्चित करें कि कार्ड भेजने वाला परिचित है या नहीं। लिंक खोल लिया और उसमें बैंक या पासवर्ड या अन्य लेन-देन के प्लेटफॉर्म की जानकारी मांगता है तो उसे तुरंत बंद कर दें। कम्प्यूटर व मोबाइल में एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का उपयोग करें और उसे नियमित रूप से अपडेट करें।
अपराध हुआ है तो उसकी एफआइआर दर्ज की जानी चाहिए। पुलिस एफआइआर दर्ज कर अपराध करने वालों की जड़ तक पहुंचे। इससे अपराध करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सके और पीड़ित को न्याय मिल सके। शिकायत दर्ज करना खानापूर्ति के समान है।
-बी.एस. चौहान, अधिवक्ता
Updated on:
01 Dec 2024 10:52 am
Published on:
01 Dec 2024 09:27 am
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