
कोटा/जयपुर। कोटा संभाग के सबसे बड़े अस्पताल एमबीएस में आत्माओं को ले जाने के मामले अब आम होते जा रहे हैं। आए दिन ग्रामीण क्षेत्रों से लोग यहां अपने मृत परिजनों की आत्माओं की शांति के लिए पूजा पाठ करते नजर आ रहे हैं। अंधविश्वास के ऐसे नजारे दिखना यहां आम बात सी हो गई है। एक बार फिर से ऐसा ही नजारा अस्पताल में देखने को मिला जब करीब दो दर्जन लोग मृतक की आत्मा लेने पहुंचे। ग्रामीण पूरी तैयारी के साथ स्टोक यूनिट के अंदर पहुंच गए और वहां पूजा करने लगे। स्टॉफ ने उन्हें वहां पूजा करने से रोका तो वह उनसे अनुरोध करते रहे, लेकिन स्टॉफ ने इसकी सूचना एमबीस चौकी पर दे दी। इस दौरान वे लोग वहां से बाहर की और चले गए और बाहर ही पूजा करने लगे। करीब एक घंटे तक आत्मा ले जाने की प्रकिया चलती रही। परिजनों ने बताया कि करीब 2 साल पहले बूंदी जिले के हिंडोली निवासी मूर्ति की इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई थी। उसकी मौत के बाद परिवारजन मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान थे। भोपा और देवी देवता ने उनको मूर्ति की आत्मा लाने की सलाह दी है।
अस्पताल में पिछले एक माह के दौरान यह चौथा मौका है, जब अंधविश्वास के चलते परिजन आत्मा लेने अस्पताल पहुंचे हैं। आए दिन हो रही घटनाओं के बावजूद अस्पताल प्रशासन इन्हें रोक नहीं पाता और न ही ऐसे लोगों को जागरूक करने की कोई व्यवस्था है। इस टोने-टोटके से अस्पताल में भर्ती दूसरी मरीजों को खासी परेशानी होती है। कई बार तो वार्डों में टोने-टोटके शुरू हो जाते हैं, जिससे दूसरे पेशेंट भी घबराकर बाहर निकल आते हैं।
आत्मा नाम की कोई चीज होती ही नहीं: डॉ.सरदाना
ऐसी घटनाओं पर डॉ सरदाना का कहना है कि, मेडिकलसाइंस में आत्मा नाम की कोई चीज होती ही नहीं है, यह सब अंधविश्वास है। हाड़ौती में यह समस्या कुछ ज्यादा ही है। लोगों को खुद सोचना चाहिए और पढ़े-लिखे लोगों को गांवों में जागरूकता फैलानी चाहिए।
इससे पहले 31 अक्टूबर को कोटा के एमबीएस हॉस्पिटल में ही मंगलवार सुबह हिंडौली से आए लोग भी आउटडोर के मेन गेट पर टोने-टोटके करते दिखे। इनके साथ हिंडौली के पूर्व प्रधान दो बार भाजपा के विधायक प्रत्याशी रह चुके पोखरलाल सैनी भी आए हुए थे। परिजनों ने बताया कि बिजली विभाग में कार्यरत छैलाराम की 14 मई को अस्पताल के मेन गेट पर ही मौत हो गई थी, उन्हीं की आत्मा लेने अस्पताल आए हैं। करीब 1 घंटे तक परिजन मेन गेट पर टोने-टोटके करते रहे, लेकिन किसी ने उन्हें नहीं टोका। बाद में जब मीडियाकर्मियों को देखा तो पुलिसकर्मी आए और उन्हें हटाया। साथ आए भाजपा नेता सैनी ने कहा कि छैलाराम का परिवार मेरे पड़ोस में रहता है। उनकी जब मौत हुई, तब भी मैं उनके साथ था।
अस्पताल में भटक रही है आत्मा
हुआ यह कि उनकी मौत के बाद उनके बेटे शिवदास को हिचकी चलने लगी और तमाम तरह का इलाज कराने के बाद भी हिचकी बंद नहीं हुई। हिंडौली में देवता ने बताया कि पिता की आत्मा अस्पताल में ही भटक रही है, आत्मा को लेकर आओगे तो सारी समस्या दूर हो जाएगी। परिवार ने सहमति दी, उसी दिन से हिचकी आना बंद हो गई। इसके बाद देवता ने ही देवउठनी एकादशी का दिन बताया और इसीलिए आत्मा लेने आए हैं। सैनी से जब पूछा गया कि यह अंधविश्वास क्यों? तो वे बोले कि मैं इसे अंधविश्वास नहीं मानता। परिवार की स्थिति के हिसाब से काम किया, इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
इससे पहले 19 अप्रेल को भी कोटा के न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आईसीयू में प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी में तांत्रिक क्रियाएं किए जाने का मामला सामने आया था। दरअसल, इस अस्पताल में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, लेकिन उसके परिजन ने शव ले जाने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि उनका एक बाबा मृतक को जिंदा करेगा।
उन्होंने अस्पताल में एक तांत्रिक को बुला लिया। इस तांत्रिक ने आईसीयू के भीतर ही तलवार से मुर्गा काटा और इसके बाद वह तांत्रिक शव के पास ही करीब चार घंटे तक टोने-टोटके करता रहा। हैरानी यह रही कि इस दौरान अस्पताल के कर्मचारी और पुलिस वाले सबकुछ चुपचाप देखते रहे। मृतक हेमराज को आठ अप्रैल को सिर में चोट लगने के बाद यहां भर्ती कराया गया था। उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे दो दिन पूर्व ही आईसीयू में वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया था, लेकिन उसने दम तोड़ दिया। अस्पताल में बड़ी संख्या में मौजूद उसके परिजन ने शव को ले जाने से मना कर दिया। उन्होंने एक बाबा द्वारा युवक को एक घंटे में जिंदा कर देने का हवाला दिया। इसके बाद आए एक तांत्रिक ने आईसीयू में ही सारी तांत्रिक क्रियाएं कीं। लेकिन करीब चार घंटे बाद जब कुछ नहीं हुआ तो उसके मृतक के परिजन शव ले गए।
Published on:
20 Nov 2017 04:54 pm
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