
सरकार ने जारी की साढे़ चार करोड़ रुपए की स्वीकृति
विकास जैन
जयपुर. राज्य के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों का कैडर नहीं होने से चिकित्सकों की योग्यता और डिग्री का मरीजों को संपूर्ण लाभ नहीं मिल पा रहा है। अस्पतालों में चिकित्सकों के पद विभागवार तय नहीं हैं। ऐसे में कुछ विभागों में अधिक तो कुछ में एक भी चिकित्सक नियुक्त नहीं हो पा रहा। प्रदेश में एमबीबीएस के बाद 28 विषयों में पीजी कोर्स होते हैं, लेकिन इनमें से 14 विषयों का एक भी पद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में सृजित नहीं है।
ये चिकित्सक भी एमबीबीएस की तरह ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कार्यरत हैं। यहां संपूर्ण संसाधन नहीं होने से इनकी योग्यता का पूरा लाभ भी नहीं मिल पा रहा। कैडर नहीं होने का असर यह है कि उच्च शिक्षित डीएम और और एमसीएच योग्यताधारी चिकित्सकों को भी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर लगाया हुआ है। यहां भी उनकी योग्यता के पांच फीसदी संसाधन भी उपलब्ध नहीं है। हाल ही प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ की नियुक्ति सीएचसी और हड्डी रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति पीएचसी पर भी की जा चुकी है।
सेवारत चिकित्सकों ने किया सांकेतिक प्रदर्शन
चिकित्सा संवर्ग के पृथक कैडर निर्माण की मांग को लेकर ज्वॉइंट एक्शन कमेटी के आह्वान पर अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के बैनर तले शनिवार को प्रदेश भर के चिकित्सकों नें पोस्टर, बैनर और तख्तियां लेकर सांकेतिक प्रदर्शन किया। चिकित्सकों का कहना है कि वर्ष 2011 में कैडर की मांग को लेकर तत्कालीन सरकार से समझौता हुआ। वर्तमान सरकार के वर्ष 2021 के बजट घोषणा पत्र में भी कैडर बनाने की घोषणा की गई। लेकिन इसके बाद भी अब तक चिकित्सा संवर्ग के लिए पृथक कैडर का गठन नहीं किया गया। इससे आम जनता को चिकित्सकीय सेवाओं का संपूर्ण लाभ नहीं मिल पा रहा।
Published on:
25 Sept 2023 01:20 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
