
ओमप्रकाश शर्मा/जयपुर। दस लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार जलदाय विभाग के सीई (चीफ इंजीनियर) का पक्ष लेना एसीबी के एक अधिकारी को भारी पड़ा। बेनीवाल के खिलाफ वर्ष 2016 में दर्ज पद के दुरुपयोग के मामले में जांच अधिकारी श्रवण कुमार वर्षों से कार्रवाई नहीं कर रहे थे। यहां तक की विशेषज्ञों की राय को भी दरकिनार कर दिया। यह तथ्य सामने आने के साथ ही डीजी एसीबी बीएल सोनी ने श्रवण कुमार को एसीबी से रिलीव करने के आदेश दिए हैं।
बेनीवाल को एसीबी ने २६ सितम्बर को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। इसके बाद अधिकारियों के प्रसंज्ञान में बेनीवाल के खिलाफ वर्ष 2016 में दर्ज एफआइआर भी आई। यह एफआइआर एक मामले में भुगतान को लेकर दर्ज की गई थी। आरोप है कि टैंडर में तय राशि से पांच सौ प्रतिशत अधिक राशि का भुगतान किया गया। जबकि इसके लिए अलग टैंडर जारी करना था। यह तफ्तीश लम्बे समय से पुलिस निरीक्षक श्रवण कुमार के पास थी।
डीजी एसीबी बी.एल.सोनी ने बताया कि फाइल पर लम्बे समय से कोई प्रगति नहीं की गई। जिस मामले में विभाग ने आरोपी अधिकारी मनीष बेनीवाल निलम्बित किया था, उसमें आरोप साबित नहीं माने। एसीबी के तकनीकी अधिकारी ने भी आरोप सही माने हैं। उन्होंने बताया कि यह तथ्य आने के बाद पुलिस निरीक्षक श्रवण कुमार को एसीबी से हटाने का निर्णय लिया गया है।
अब जांच बजंरग सिंह को
बेनीवाल को रंगे हाथ पकडऩे की कार्रवाई अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बजरंग सिंह की टीम ने की थी। अब वर्ष 2016 के मामले की तफ्तीश भी बजरंग सिंह को दी गई है। इस मामले में पड़ताल करनी है कि एक फर्म को किया गया करीब भुगतान नियमानुसार सही था या गलत।
Updated on:
02 Oct 2022 03:02 pm
Published on:
02 Oct 2022 02:59 pm
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