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कविता-इस नए वर्ष में

Hindi poem

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कविता-इस नए वर्ष में

कविता-इस नए वर्ष में

डॉ. श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट

मैं समय हूं
अनवरत चलता हूं
सबकुछ देखता हूं
अच्छा भी बुरा भी
निर्लेप भाव है मेरा
जन्म की खुशियां
मृत्य का शोक
मेरे लिए समभाव
मैं निर्विकारी हूं
पूरी तरह पावन हूं
भले ही कलियुग में हूं
हां, मेरे आस पास
विकार ही विकार हैं
पीड़ा है,चींत्कार है
करुणा है,रुदन है
कहीं कहीं थोड़ी खुशियां भी
जो आल्हादित करती हैं मुझे
यह दुख, यह सुख
कर्मों की नियति है
हमें अच्छा चाहिए तो
केवल अच्छा सोचें
केवल अच्छा ही करें
इस नए वर्ष में
यही संकल्प बेहतर होगा
बेहतर वर्तमान
और बेहतर भविष्य के लिए
इसके लिए आपको
नए वर्ष की शुभकामनाएं।

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सतीश सिंह

गजल
कहने को नया है, पर कहानी सब पुरानी है
साल बदल गये, पर मीरा अब भी दीवानी है

दर्द ठहर सा गया है, खुशी भी सहमी सी है
पर, खुद को बदलने से तस्वीर बदल जानी है

पिछले साल खुद से हजारों वायदे किए थे
पूरे तो कोई नहीं हुए, अब उन्हें दोहरानी है

वंचित तबके क्यों मनाएं नए साल का उत्सव
जीने के लिए हुक्मरानों के तलवे चाटनी है

मेरे घर में क्यों बेवजह घुस आता है नववर्ष
न मुझो पीनी और न ही किसी को पिलानी है

नहीं रुकेंगे लड़ाई-झागड़े, न बदलेंगे जीने के मायने
मयखाने आबाद रहेंगे, पर किस्मत कहां बदलनी है

रोज सूरज की किरणें उम्मीदें लेकर आती हैं
गर होगा मन में विश्वास, जीत मिल जानी है

'सतीश', के सपने फिर से अधूरे रह गए
अब फिर से एक नई कहानी लिखनी है

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