
जयपुर। राज्य सरकार के खिलाफ किसानों का विरोध अब लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे अब जस्टिस फ़ॉर छाबड़ा जी संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूनम अंकुर छाबड़ा ने किसानों के संमपूर्ण कर्जमाफी और अन्य मांगों को लेकर जयपुर कूच करते समय पुलिस द्वारा गिरफ्तारी को लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ बताया है। पूनम अंकुर छाबड़ा ने बुधवार को प्रेस नोट के जरिए अपनी बात कही है।
उन्होंने नोट में लिखा है कि हमारे प्रदेश का अन्नदाता जयपुर विधानसभा के बाहर आकर शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग रखना चाहते थे, मगर उन्हें और उनके नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। जो इमरजेंसी की याद दिला रहा है। आज प्रदेश में अपनी बात रखने के लिए आंदोलन या धरना करना भी जुर्म हो गया है। राज्य सरकार ने हमारे साथ भी हर बार दगा किया है।
उनका कहना कि जब भी जस्टिस फ़ॉर छाबड़ा जी संगठन कोई धरना या प्रदर्शन करना चाहता है तो हमें सिर्फ एक रात पहले सूचना दी जाती कि आपको परमीशन नहीं दी जा सकती और आप पर केस बना दिया जायेगा या गिरफ़्तारी का डर दिखाया जाता है। यह सरासर गलत है। यहां तक की जब मैं आठ माह की गर्भधारण अवस्था में थी, तब भी राज्य सरकार ने एक रात पहले परमीशन का रोना रोया था। मेरे सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं पर केस बना दिया था।
उन्होंने कहा कि ऐसा करना लोकतंत्र की हत्या है मगर संगठन के सभी कार्यकर्ता केस लगवा चुके हैं मगर पीछे नहीं हटे, जिसके लिए मैं सभी कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करती हूँ। पूनम अंकुर छाबड़ा किसानों की गिरफ्तारी पर कड़ी निंदा करते हुए कहा कि इसे लोकतंत्र की हत्या मानती हूं। इसी के चलते हमने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है जल्द ही किसान नेताओं को छुड़वाने का व सहयोग की रणनीति बनाई जायेगी।
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जस्टिस फ़ॉर छाबड़ा जी संगठन की ओर से आयोजित इस मीटिंग में पूनम छाबड़, अंकुर छाबड़ा, पवन जैन, विशाल शर्मा सहित कई कार्यकर्ताओं ने इस प्रस्ताव पर सहमति जाहिर की।
Published on:
21 Feb 2018 10:36 pm
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