देश की आन-बान और शान के प्रतीक वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप अब दुबई के बाद मॉरिशस में भी अपनी वीरता और स्वाभिमान का संदेश देते दिखाई देंगे। जयपुर के मूर्तिकार महावीर भारती और उनकी सहपाठी मूर्तिकार निर्मला कुल्हरी ने महाराणा की मूर्ति तैयार की है। 7.6 फीट और 9.6 फीट की पंचधातु से बनी प्रतिमा मॉरिशस के $फ्लैक और मोका शहर में स्थापित होने के लिए इसी सप्ताह रवाना हो रही है। मूर्तिकार महावीर ने बताया कि मूर्तियों का अनावरण मॉरिशस के प्रधानमंत्री करेंगे। गौरतलब है कि दोनों मूर्तिकारों की देश भर में महाराणा प्रताप की 56 से ज्यादा प्रतिमाएं स्थापित की जा चुकी हंै। इस कार्य के लिए उन्हें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 10 राज्यों के मुख्यमंत्री सम्मानित कर चुके हैं।
लॉस्ट वैक्स तकनीक से बनाई प्रतिमा
महावीर भारती के मुताबिक प्रतिमा का निर्माण लॉस्ट वैक्स तकनीक के जरिए किया गया है। इस तकनीक में सबसे पहले क्ले मॉडल बनाया जाता है। उसके बाद प्रतिमा के सांचे बनाए जाते हैं। जिसमें वैक्स की 8 से 14 मिमी की लेयर बनाई जाती है। इस कार्य में बी-वैक्स और पैराफिन वैक्स दोनों का उपयोग होता है। इसके बाद इन सांचों को भट्टी में पकाया जाता है। जहां वैक्स गर्म होकर सांचों से निकल जाता है इसलिए इस तकनीक को लॉस्ट वैक्स प्रोसेस कहा जाता है।
भारत की देन है लॉस्ट वैक्स तकनीक
भारती बताते हैं कि अष्ट धातु की बड़ी बड़ी मूर्तियों को इसी तकनीक से बनाया जाता है। कोर्स की किताबों के मुताबिक लॉस्ट वैक्स तकनीक को इटेलियन तकनीक कहा जाता है लेकिन यह सच नहीं है। वास्तव में यह भारत की ही देन है। इसके प्रमाण हमें पांचवीं सदी की प्रतिमाओं में मिलते हैं। इस तकनीक का सबसे पुराना ज्ञात उदाहरण सिंधु घाटी सभ्यता से छह हजार साल पुराना ताबीज है।