उन्होंने लिखा कि— लोकतंत्र की हार बताकर जतना के निर्णय को अपमानित किया जा रहा है, यही कांग्रेस का चरित्र है। जनता पर दोष मंढना ठीक नहीं है, बल्कि उसका अपमान है। इसके बाद तो आमजन भी इसमें कूद गए। किसी ने कांग्रेस और खाचरियावास की खिंचाई की तो कोई भाजपा व चतुर्वेदी से उनकी सरकार के कार्यकाल का हिसाब मांगता रहा। चतुर्वेदी ने तो खाचरियावास के इस लेख का स्क्रीन शॉट लेकर प्रचारित भी कर दिया। हालांकि, इसके बाद खाचरियावास की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। दोनों ही सिविल लाइन्स विधानसभा क्षेत्र से एक—दूसरे के सामने चुनाव लड़ चुके हैं।
सोशल मीडिया पर किसने, क्या लिखा.. 1. प्रताप सिंह खाचरियावास.. जनादेश शिरोधार्य है, जिसे हम विनम्रता के साथ स्वीकार करते हैं। आश्चर्यजनक चुनाव परिणाम यह हार कांग्रेस की नहीं लोकतंत्र की हार है। किसी भी व्यक्ति को या पार्टी को बेवजह बिना काम के बिना पुराने वादे का हिसाब किताब लिए जब भी वोट दिया जाएगा तो आप यह मानकर चलिए ऐसे वोट से लोकतंत्र कमज़ोर होगा। वोट देना चाहिए काम के आधार पर सच्चाई और ईमानदारी के साथ, मतदाता का हर फैसला पार्टी बाजी से ऊपर उठकर काम के आधार पर होना चाहिए। मेरा अपना यह मानना है की इन नतीजों से लोकतंत्र कमजोर होगा, भाजपा का घमंड उनके नेताओं का घमंड सातवें आसमान पर होगा। यह हमारे लोकतंत्र के हित में नहीं है जो भी हो हमारा देश आगे बढऩा चाहिए और लोकतंत्र मजबूत होना चाहिए।
2. अरुण चतुर्वेदी.. एक तरफ जनादेश को शिरोधार्य करते है दूसरी तरफ लोकतंत्र की हर बताकर जनता के निर्णय को अपमानित करना यही कांग्रेस का चरित्र है। झूठे वादे करके वोट प्राप्त किये और अब जब जनता ने 5 महीने के बाद आपको नकारा तो दोष जनता पर मढना यह मतदाता का अपमान है। लोकतंत्र में जनता ही जनार्दन है। हमने भी विनम्रता पूर्वक इस जनादेश को स्वीकार किया था लेकिन जनता—लोकतंत्र को दोष नहीं दिया। जय हिंद जय मतदाता।