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यूपीए के समय 67 रुपए पेट्रोल होने पर विरोध करने वाले आज चुपः खाचरियावास

-महंगाई कम करने का वादा करके सत्ता में आने वालों से महंगाई कम नहीं हो रही है, 2014 के बाद पक्ष-विपक्ष के सम्मान की परंपरा नहीं बची

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pratap singh

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जयपुर। पेट्रोल डीजल और रसोई गैस की दरों में लगातार हो रही वृद्धि को लेकर परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार भाजपा पर हमला बोला है। खाचरियावास ने कहा कि 2014 में ₹67 पेट्रोल होने पर विरोध करने वाले आज चुप हैं।

रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा 2014 में यूपीए शासन के दौरान पेट्रोल ₹67 लीटर हो गया था तो भाजपा वाले सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करते थे। उस वक्त क्रूड ऑयल 130 डॉलर प्रति बैरल था और आज 63 डॉलर प्रति बैरल है। उस वक्त क्रूड ऑयल महंगा था और आज क्रूड आयल सस्ता है। बावजूद उसके पेट्रोल के दाम 100 रुपए के पार हो गए हैं। पेट्रोल-डीजल के दामों में आग लगी हुई है लेकिन महंगाई कम करने का वादा करके सत्ता में आने वालों से महंगाई कम नहीं हो रही है।


उन्होंने कहा कि 2014 में विरोध करना भाजपा वालों का फर्ज था लेकिन आज जो भी लोग मोदी सरकार का विरोध करते हैं तो उन्हें देशद्रोही करार दे दिया जाता है। परिवहन मंत्री ने कहा कि भाषणों से काम चलने वाला नहीं है, महंगाई कम करने के लिए मोदी सरकार को कुछ करके दिखाना चाहिए।

संकट के समय होती नेताओं की परीक्षा
परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि संकट के समय ही नेताओं की असली परीक्षा होती है। जब इस देश में कोरोना महामारी के चलते लोग परेशान थे। लाशों के ढेर लग गए थे तब प्रधानमंत्री से लेकर भाजपा के तमाम लोग बंगाल चुनाव में व्यस्त थे। न तो भाजपा के नेता लोगों को कोरोना काल में ऑक्सीजन उपलब्ध करा पाए, न ही अस्पतालों में बेड और दवाइयां उपलब्ध करा पाए।

जबकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं ने अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों की हर संभव मदद की। उन्होंने कहा कि वे स्वयं भी 36 बार कोरोना वार्डों और आईसीयू में पीड़ित मरीजों से मिलकर उनकी हर संभव मदद करते र,हें जिससे मरीजों को भी कोरोना से लड़ने में ताकत मिली।

पक्ष-विपक्ष के सम्मान की परंपरा टूटी
परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि 2014 के बाद से देश में पक्ष-विपक्ष की के सम्मान की परंपरा टूट गई है। लोकतंत्र में पक्ष-विपक्ष को सम्मान दिया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी रोजाना पंडित जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ बोलते थे, लेकिन बावजूद नेहरू ने उन्हें अपनी कैबिनेट में शामिल किया। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को अपनी कैबिनेट में शामिल किया। नेहरू की सोच थी कि राष्ट्र मजबूत होना चाहिए।

खाचरियावास ने कहा कि राजीव गांधी ने संयुक्त राष्ट्र में भारत का पक्ष रखने के लिए किसी कांग्रेसी नेता को नहीं बल्कि विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेई को भेजा था। इससे यह साबित होता है कि लोकतंत्र में पक्ष-विपक्ष की परंपरा मजबूत थी। लेकिन 2014 के बाद से इस परंपरा को तोड़ दिया गया है। आज सरकार का विरोध करने वालों को प्रताड़ित किया जाता है। उन्हें देशद्रोही करार देकर उन पर मुकदमें दर्ज करिए जाते हैं जो कि लोकतंत्र में स्वच्छ परंपरा नहीं है। इससे पहले हुए शीलान्याक कार्यक्रम के दो दर्जन लोग कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए। खाचरियावास ने इन लोगों का स्वागत करके इन्हें कांग्रेस में शामिल किया।