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Hindi Journalism Day: 187 साल तक अस्तित्व में रही हिंदी पत्रकारिता, JECRC यूनिवर्सिटी में कार्यक्रम

Hindi Journalism Day: हिंदी पत्रकारिता दिवस पर जयपुर की जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी जयपुर में कार्यक्रम हुआ। इसमें वक्ताओं ने 30 मई को पूरे भारत के मीडिया में हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाने के पीछे की मंशा बताई। साथ ही हिंदी पत्रकारिता के मायने बताए।

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Program on Hindi Journalism Day at JECRC University Jaipur

Hindi Journalism Day: हिंदी पत्रकारिता दिवस पर जयपुर की जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी जयपुर में कार्यक्रम हुआ। इसमें वक्ताओं ने 30 मई को पूरे भारत के मीडिया में हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाने के पीछे की मंशा बताई। साथ ही हिंदी पत्रकारिता के मायने बताए। वक्ताओं ने बताया कि हर साल 30 मई को पूरे भारत के मीडिया में हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है। भारत का पहला हिंदी समाचार पत्र उदंत मार्तंड 30 मई, 1826 को संपादित और प्रकाशित हुआ था। इसके साथ ही हिंदी पत्रकारिता 187 वर्षों तक भारत में अस्तित्व में रही। जुगल किशोर शुक्ल ने हिंदी का पहला समाचार पत्र शुरू किया। भारतीय लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता की स्थापना जुगल किशोर शुक्ल के सहयोग से हुई थी।

हिंदी पत्रकारिता दिवस पर स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन के द्वारा JECRC यूनिवर्सिटी में 'कल, आज और कल' थीम पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमे दैनिक भास्कर के राष्ट्रीय संपादक एलपी पंत, संपादक न्यूज 18 राजस्थान अमित भट्ट, डिप्टी एडिटर राजस्थान पत्रिका अभिषेक तिवारी, सह संस्थापक, चौक मीडिया अंकित तिवारी, मुख्य उप संपादक पत्रिका डॉट कॉम उपेंद्र सिंह और डीन स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन नरेंद्र कौशिक सहित दिग्गज पत्रकारों ने कार्यक्रम में पत्रकारिता से जुड़े छात्रों से संवाद किया। कार्यक्रम का आयोजन डॉ. डाली जैन, सहायक प्रोफेसर, स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन के द्वारा करवाया गया। पत्रकारिता दिवस पर भी कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

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उदंत मार्तंड- भारत का पहला हिंदी समाचार पत्र
भारत में सबसे पहला हिंदी अखबार उदंत मार्तंड कहलाता था, और यह कलकत्ता में छपता था। प्रकाशन की तिथि, 30 मई, 1826 को हिंदी पत्रकारिता दिवस या हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में चिह्नित किया जाता है। हिंदी भाषा विश्व की तीसरी सर्वाधिक बोलने वाली भाषा है। जिसे भारत के अलावा विश्व के अन्य देशों में भी बोला जाता है, जैसे नेपाल, अमेरिका, पाकिस्तान जैसे और अन्य देशों में हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाता है।

हिदी केवल भाषा ही नहीं इसे मां का दर्जा भी दिया गया है। बड़े-बड़े साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं में हिदी को मां कह कर पुकारा है। हिंदी भाषा जो भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा में से एक है, वह डिजिटल युग में स्वयं को स्थापित कर रही है। आज देश ही नहीं पूरी दुनिया जब डिजिटल की राह पर आगे बढ़ रही है तो कहना गलत न होगा कि ऐसे परिवेश में हिंदी जैसी भाषाओं की व्यापकता और आसान हो गई है।

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हिंदी भाषा की लोकप्रियता दिनोंदिन बाजार और सोशल मीडिया में तेजी से बढ़ रही है । आज हिंदी को बढ़ावा देने और आगे ले जाने के लिए किसी व्यक्ति या व्यक्ति समूह की आवश्यकता नहीं है। बल्कि आज हिंदी भाषा को टेक्नोलॉजी से बेरोजगार युवा आगे बढ़ते जा रहे हैं। टेक्नोलॉजी ने हिंदी कोश प्रभाव बनाया है। आज के समय में बड़े पैमाने पर युवा इंटरनेट पर हिंदी सामग्री पेश कर रहे हैं। इंटरनेट पर हिंदी का प्रयोग करने वाले लोगों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है।

हिंदी भाषा पत्रकारिता पर की गई बात
क्षेत्रीय भाषा सामग्री तेजी से लोकप्रिय हो रही है क्योंकि भारत का डिजिटल वातावरण तेजी से बदल रहा है। हिंदी भारत की सबसे अधिक बोली जाने वाली क्षेत्रीय भाषा है, जिससे हिंदी सामग्री का ऑनलाइन मिलना अधिक सामान्य हो गया है। बेशक, अंग्रेजी विश्व स्तर पर और भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली भाषा है। हालाँकि, Google डेटा हिंदी सामग्री की खपत में 94% की वृद्धि दर का खुलासा करता है। वैश्विक व्यवसाय इसे ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीतियों के हिस्से के रूप में क्षेत्रीय भाषाओं पर जोर देते रहे हैं।

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सोशल मीडिया पर हिन्दी भाषा के विस्तार की गति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अप्रैल 2015 तक देश में सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या 14.3 करोड़ रही, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ताओं की संख्या पिछले एक साल में 100 प्रतिशत तक बढ़कर ढाई करोड़ पहुंच गई जबकि शहरी इलाकों में यह संख्या 35 प्रतिशत बढ़कर 11.8 करोड़ रही। सबसे खास बात यह है, अंग्रेजी का अच्छा-खासा ज्ञान रखने वाले युवा भी अब सोशल मीडिया पर हिन्दी भाषा में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।