जयपुर

लम्पी रोग से करें पशुओं का बचाव

प्रदेश में गौवंशीय पशुओं में लम्पी स्किन रोग से बचाव के लिए राजस्थान सरकार के पशुपालन विभाग ने पशुपालकों के लिए सलाह जारी की है।

less than 1 minute read
May 25, 2023
लम्पी रोग से करें पशुओं का बचाव

क्या है लम्पी स्किन रोग
यह गांठदार त्वचा रोग गौवंशीय एवं भैंसवंशीय पशुओं का एक संक्रामक रोग है। इसकी वजह केप्री पॉक्स वायरस है। यह रोग पशुओं से इंसानों में नहीं फैलता। इसके कारण पशुओं में होने वाली मृत्यु दर एक से पांच फीसदी तक पहुंच सकती है।

रोग के लक्षण
रोग ग्रस्त पशुओं में आरंभ में बुखार, आंख से पानी आना, नाक में स्राव आना, चलने-फिरने में परेशानी, लार गिरना दूध उत्पादन में अचानक से कमी आना।
पशु के शरीर के विभिन्न स्थानों पर कठोर गोल उभार बन जाते हैं। इनसे मवाद व त्वचा पर घाव बन जाते हैं।

रोग का प्रसार
रोगी पशु से अन्य स्वस्थ पशुओं में रोग का प्रसार रक्त चूसने वाले या काटने वाले कीटों से होता है।यह रोगी पशु के संपर्क से, गांठों में मवाद से, संक्रमित चारे या पानी से फैल सकता है।

मृत पशुओं का निस्तारण
रोगी पशु के मृत हो जाने पर उसे १५ फीट गहरे गड्ढ़े में चूना-नमक डालकर गाड़ देवें। मृत पशु को खुुले में कदापि नहीं छोडें। शवों के निस्तारण के लिए उसे अच्छी तरह ढक कर ले जावें।

पशुपालकों को सलाह
इसका सर्वोत्तम उपाय स्वस्थ पशुओं को चपेट में आने से बचाना है। पशुओं के बाड़े में मच्छर, काटने वाली मक्खी, जूं, चीचड़ें आदि से पशुओं को बचाएं। परजीवी नाशक दवाओं का उपयोग करें। पशु बाड़े के प्रवेश पर चूने की दो फीट चौड़ी पट्टी बनवाएं। रोगी पशुओं की देखभाल वाले व्यक्ति को स्वस्थ पशुओं के समीप जाने से यथासंभव रोक लगाएं।

वैक्सीन का उपयोग
लम्पी रोग से संक्रमित गौ वंश के पशुओं का टीकाकरण नहीं कराएं। टीकाकरण के पश्चात 14 से 21 दिनों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। इस अवधि में भी रोग संक्रमण की संभावना हो सकती है।

Published on:
25 May 2023 01:21 pm
Also Read
View All

अगली खबर