
जनता ने तोड़ी परिपाटी: सत्तारूढ़ दल के प्रत्याशी को नकारा
करणपुर विधानसभा चुनाव का नतीजा सत्तारूढ़ भाजपा के लिए चौंकाने वाला रहा। आमतौर पर होता आया है कि जब भी विधानसभा चुनाव के दौरान किसी सीट पर चुनाव स्थगित होता है और इस बीच किसी दल की सरकार बन जाती है तब उसके बाद उस सीट को सत्तारूढ़ दल ही जीतता आया है। पिछले दो बार के चुनाव के नतीजे ऐसे ही रहे हैं। इस बार परिपाटी बदली और नतीजा सत्तारूढ़ भाजपा को झटका देने वाला आया।
मंत्री बनाने पर भी नहीं पड़ी पार
इस बार करणपुर सीट पर भजनलाल सरकार ने सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी की जीत को पक्का करने के लिए उन्हें राज्यमंत्री बनाया था। टीटी को कृषि विपणन और अन्य विभाग दे दिए थे, लेकिन वे चुनाव नहीं जीत सके। टीटी को चुनाव के दौरान मंत्री बनाने पर कांग्रेस ने चुनाव आयोग के सामने आपत्ति भी जताई थी और इसे आचार संहिता का खुला उल्लंघन भी बताया था। आयोग की ओर से कोई एक्शन नहीं हुआ था।
सत्तारूढ़ दल को यों मिलता आया फायदा
ऐसे चुनाव में जनता सत्तारूढ़ दल के प्रत्याशी को इसलिए चुनाव जिताकर भेजती है ताकि वह विधानसभा क्षेत्र में अच्छे से विकास करवा सकता है। इस बार तो भाजपा ने अपने प्रत्याशी को मंत्री तक बना दिया, लेकिन कोई फायदा नहीं मिल सका।
ये रहा था दो चुनावों में परिणाम
— वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में अलवर जिले की रामगढ़ सीट पर बसपा प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह का निधन हो गया था। इस कारण पिछली बार भी राजस्थान में 199 सीटों पर ही चुनाव हुआ था। कांग्रेस ने यहां से सफिया जुबेर खान और भाजपा ने सुखवंत सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था। बाद में राज्य में कांग्रेस सरकार बन गई। इसके बाद हुए चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सफिया जीती थी।
— वर्ष 2013 में भी प्रदेश में 199 सीटों पर चुनाव हुए थे, क्योंकि चुनाव के दौरान चूरू से बसपा के प्रत्याशी का निधन हो गया था। इस बीच राजस्थान में भाजपा को बंपर बहुमत मिला था और उसकी सरकार बनी। इसके बाद चूरू सीट पर चुनाव हुआ तो भाजपा के राजेन्द्र राठौड़ विधायक बन गए थे। उन्हें जीतने के बाद मंत्री बनाया गया था।
Published on:
09 Jan 2024 12:43 pm
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