
विश्व प्रसिद्ध मेला शुरू, देखने आते हैं विदेशी पर्यटक
जयपुर/अजमेर
Pushkar camel fair 2019 : मरूधरा के इस विश्वप्रसिद्ध मेले को देखने के लिए हर साल देशी ही नहीं बल्कि विदेशी सैलानी अजमेर के पुष्कर आते हैं। रेत के विशाल मैदान में लगने वाले इस मेले की शुरूआत हो गई है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर के इस मेले में पशुओं के साथ ही पर्यटकों को राजस्थानी कला, संस्कृति की छवि भी देखने को मिलती है। झंडा चौकी के साथ ही यह मेला शुरू हो जाता है। मेला शुरू होने के साथ ही पुष्कर के धोरों में रौनक लौट आई है।
दरअसल, अजमेर से करीब 11 किलोमीटर दूर हिंदुओं का प्रसिद्ध पुष्कर तीर्थ स्थल है। यहां कार्मिक पूर्णिमा को मेला लगता है। पुष्कर में बड़ी संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक यहां आते हैं। पुष्कर में पशु मेले की शुरूआत हो गई है। यह मेला हर साल पशुपालन विभाग की ओर से लगाया जाता है। विभाग की ओर से इस मेले में आए पशुओं की गणना के लिए झंडा चौक लगा दी गई है। मेले में अच्छी संख्या में ऊंटों के साथ अी अश्व वंशीय पशुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है।
इनके आने के साथ ही पुष्कर के धोरों में चहलपहल बढ़ने के साथ ही रौनक लौट आई है। यह रौनक देशी विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ने के साथ ही परवान पर पहुंच जाती है। इस मेले में पशुओं के करतब, उनकी साज सजावट और सवारी विदेशी पावणों को खासतौर पर आकर्षिक करती है। पशुपालन विभाग ने स्टेडियम के पीछे धोरों में यह मेला शुरू कर दिया है। संयुक्त निदेशक अजय अरोरा ने बताया की जिला कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा मेला मैदान में 4 नवम्बर को पूजन के साथ झण्डारोहण करके इस मेले की शुरुआत करेंगे। इस मेले में 4 नवंबर से 11 नवम्बर तक तक सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। मेले में खेलकूद प्रतियोगिताएं भी होंगी। 12 नवंबर को मेला मैदान में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बीच समापन में उन पारितोषिक वितरण समारोह का आयोजन किया जाएगा। मेले के लिए प्रशासनिक स्तर पर जरूरी व्यवस्थाओं को अंजाम दिया जा रहा है। इस मेले को देखने आने वाले अधिकांश सैलानी पुष्कर में प्रसिद्ध ब्रह्रमा मंदिर में दर्शन करने के साथ ही यहां सरोवर में स्नान भी करते हैं।
कई संस्कृतियों की झलक
आपको बता दें कि हर साल कार्तिक महीने में लगने वाले पुष्कर ऊंट मेले की एक खास पहचान है। वजह है कि इस मेले में पुष्कर में कई संस्कृतियों का मिलन होने के साथ ही अच्छी संख्या में विदेशी सैलानियों की मौजूदगी होती है। वहीं, मेले में राजस्थान और आसपास के तमाम इलाकों से आदिवासी, ग्रामीण पशुपालक अपने पशुओं के साथ इस मेले में शरीक होते हैं जो जिससे इस मेले की रौनक बढ़ जाती है। पशुमेले के अतिरिक्त पुष्कर मेले को लेकर ऐसी मान्यता है कि कार्तिक शुक्ला एकादशी से पूर्णिमा तक जगत पिता ब्रह्मा ने पुष्कर सरोवर में सृष्टि यज्ञ किया था। ऐसे में इन पांच दिनों तक सभी तैंतीस करोड़ देवी-देवता अंतरिक्ष की जगह पुष्कर सरोवर में विराजित रहते हैं।
इस दिन से होगा पंचतीर्थ महास्नान
इस विशाल पशु मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए जिला प्रशासन एवं पशुपालन विभाग ने व्यवस्थाएं जुटाने शुरू कर दिए जगत् पिता ब्रम्हा के पवित्र पुष्कर तीर्थ का धार्मिक मेला 8 नवंबर से कार्तिक मास की प्रबोधिनी एकादशी के पहले पंचतीर्थ महास्नान के साथ शुरू हो जाएगा यह महास्नान 12 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा की आखिरी प्रधान के साथ संपन्न होगा इस दौरान करीब 3 लाख से अधिक श्रद्धालु पवित्र पुष्कर सरोवर में आस्था की डुबकी लगाएंगे। संत सामूहिक रूप से शाही स्नान करके श्रद्धालुओं को धार्मिक आस्था एवं सफाई का संदेश प्रसारित करेंगे।
Published on:
29 Oct 2019 09:31 pm
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