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राजस्थान में फैला लम्पी वायरस पर तैयारी पर सवाल

राज्य में लम्पी वायरस से ग्यारह जिलों में करीब 4500 पशुओं की मौत हो चुकी है। पश्चिमी राजस्थान से फैलते हुए पूरे प्रदेश में पशुओं का जीवन लील रहा है। खतरनाक लम्पी वायरस के कारण प्रदेश के आधे से अधिक क्षेत्र में पशुधन पर संकट है। इसके बावजूद राज्य स्तर पर न तो जागरुकता कार्यक्रम है न ही कोई स्टेट हेेल्पलाइन शुरू की गई है।

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राज्य में लम्पी वायरस से ग्यारह जिलों में करीब 4500 पशुओं की मौत हो चुकी है। पश्चिमी राजस्थान से फैलते हुए पूरे प्रदेश में पशुओं का जीवन लील रहा है। खतरनाक लम्पी वायरस के कारण प्रदेश के आधे से अधिक क्षेत्र में पशुधन पर संकट है। इसके बावजूद राज्य स्तर पर न तो जागरुकता कार्यक्रम है न ही कोई स्टेट हेेल्पलाइन शुरू की गई है।

भाजपा ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुुए मांग की है कि तत्काल राज्य स्तरीय बचाव कार्यक्रम चलाकर पशुधन को बचाया जाए। वहीं सरकार में भी मंगलवार को इस मुद्दे पर हलचल शुरू हुई है। राज्य गो सेवा आयोग अध्यक्ष और विधायक मेवाराम जैन ने मंगलवार को ही मुख्य सचिव और पशुपालन सचिव से बात कर तत्काल उपाय करने को कहा। जैन का कहना है कि यह महामारी है। बचाव नहीं हुआ तो बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।

पूनिया ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
लम्पी बीमारी से प्रभावित बाड़मेर और जैसलमेर के संगठन संबंधी दौरे पर गए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने वहां से मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि रोग बढ़ता जा रहा है, जिससे पशुओं के जीवन और पशुपालकों की जीविका पर बड़ा खतरा है। सरकार इसकी रोकथाम के लिए तत्काल उपाय करे। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सरकार पर आरोप लगाया है कि इतनी गंभीर बीमारी के बावजूद अब तक कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है। इसके लिए राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया जाना चाहिए।

पशुपालन विभाग और संस्थाओं के लिए 9.43 करोड़ स्वीकृत
पशुओं की खतरनाक बीमारी की रोकथाम के लिए उठ रहे सवालों के बीच मंगलवार को राज्य सरकार ने पशुपालन विभाग के लिए राशि जारी की है। खास बात यह है कि यह राशि रोग की रोकथाम की बजाय विभाग के कार्यालयों और संस्थाओं के भवनों की मरम्मत के लिए जारी की है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 9.43 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। इससे पशु चिकित्सा संस्थाओं में बहुउद्देश्यीय पशु चिकित्सालय, प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय और उपकेंद्र आदि के भवनों की मरम्मत एवं सफेदी का कार्य होगा। राज्य की बजट घोषणा के तहत यह स्वीकृति जारी की गई है।

गाय को मिले राष्ट्रमाता का दर्जा : बेनीवाल
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा में गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा देने की मांग की। साथ ही कहा कि गायों के संरक्षण के लिए संरक्षित गौचर भूमि पर गो अभयारण्य बनाने पर जोर दिया। बेनीवाल वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2021 की चर्चा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जब टाइगर रिजर्व के लिए प्रावधान बनाए जा सकते हैं तो फिर गायों के लिए क्यों नहीं बन सकते। उन्होंने लम्पी स्किन नामक बीमारी से उत्पन्न हालात की तरफ भी सरकार का ध्यान सदन में आकर्षित किया। उन्होंने गोडावण, ऊंटों व गिद्धों पर छाए संकट का जिक्र किया। इसके अलावा भरतपुर में संत के आत्मदाह करने के मामले की जांच ईडी और सीबीआइ से करवाने की मांग की। बेनीवाल ने राजस्थान के चुरू जिले में स्थित ताल छापर अभयारण्य के संरक्षण की मांग उठाई। उन्होंने इस विधेयक से हाथियों का अवैध परिवहन होने की आशंका भी जताई।

‘देशी इलाज कर रहे’

राजस्थान गो सेवा आयोग अध्यक्ष मेवाराम जैन ने बताया कि इस बीमारी को रोकना जरूरी होगा। जैसे कोविड फैला था वैसे ही यह फैल रही है। सरकार प्रयास कर रही है, फिलहाल क्षेत्र के पशुपालकों को कहा जा रहा है कि तत्काल देशी इलाज करें। बचाव के लिए पशुओं को एक-दूसरे से दूर रखें। उन्हें जितना हो सके गेहूं और गुड़ की लापसी खिलाएं। साथ ही दवा का छिड़काव भी जरूरी है।