जयपुर

Rajasthan: रियायती दर पर जमीन…शर्तें तोड़ी तो हुआ ये, अब आवंटन निरस्त

यायती दर पर जमीन लेकर आवंटन की शर्तों का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जयपुर में ऐसी तीन संस्थाएं चिन्हित की गई हैं, जिनका भू-आवंटन निरस्त कर लगभग 70 हजार वर्गमीटर भूमि पर प्रशासन ने पुन: कब्जा ले लिया है।

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Jun 26, 2025
जयपुर विकास प्राधिकरण,पत्रिका फोटो

जयपुर. रियायती दर पर जमीन लेकर आवंटन की शर्तों का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जयपुर में ऐसी तीन संस्थाएं चिन्हित की गई हैं, जिनका भू-आवंटन निरस्त कर लगभग 70 हजार वर्गमीटर भूमि पर प्रशासन ने पुन: कब्जा ले लिया है। हालांकि, इनमें से एक संस्था ने न्यायालय से स्टे ले लिया है।

नगर विकास एवं आवासन (यूडीएच) मंत्री झाबर सिंह खर्रा के निर्देश पर अब कोटा, उदयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, बीकानेर सहित अन्य प्रमुख शहरों में भी रियायती दर पर आवंटित भूखंडों की जांच शुरू हो गई है। सभी मामलों की गहन समीक्षा की जा रही है। मंत्री ने यूडीएच के प्रमुख सचिव देबाशीष पृष्टी को इन मामलों की सख्त मॉनिटरिंग के निर्देश दिए हैं।
सरकार की नजर अब उन संस्थाओं, ट्रस्टों और संगठनों पर है जिन्होंने रियायती दर पर जमीन तो ले ली लेकिन दस्तावेज और जमीनी हकीकत में भारी अंतर है।

रियायती दर पर जमीन पाने वालीं जयपुर की तीन संस्थाएं

  1. पूरणमल फूलादेवी मेमोरियल ट्रस्टजमीन: 64,890 वर्गमीटरउपयोग: हेल्थकेयर और मेडिकल एजुकेशनआवंटन दर: 3,450 रुपए प्रति वर्गमीटर
  2. स्थिति: निर्धारित समय सीमा में जमीन पर कोई निर्माण नहीं हुआ और पूरी आवंटन राशि भी जमा नहीं करवाई गई। जेडीए के अनुसार, जमीन पर कब्जा लेने के बाद आवंटी ने कोर्ट से स्टे ले लिया।
  3. डॉग शेल्टर
  4. स्थान: जगतपुरा जमीन: 1,000 वर्गमीटर (वर्ष 2022 में आवंटन)
  5. स्थिति: नोटिस जारी करने के बावजूद तय समय में निर्माण नहीं हुआ। जेडीए ने जमीन पर दोबारा कब्जा ले लिया।
  6. एनजीओ कंज्यूमर यूनिटीजमीन: लगभग 4,900 वर्गमीटर

स्थिति: संस्था ने बिल्डिंग प्लान, शुल्क और छूटों को लेकर कई बार जेडीए से पत्राचार किया, लेकिन तय समय में निर्माण कार्य नहीं हुआ। शर्तों के उल्लंघन पर आवंटन निरस्त कर जमीन वापस ले ली गई।

रियायत के नाम पर भू-आवंटन, लेकिन पालना नहीं

राज्य सरकार की भू-आवंटन नीति के तहत विभिन्न सामाजिक, स्वास्थ्य, शैक्षणिक और सार्वजनिक हित की गतिविधियों के लिए संस्थाओं को रियायती दर पर भूमि दी जाती रही है। निवेश और सुविधाओं के नाम पर ये रियायतें दी जाती हैं, लेकिन सवाल यह है कि जब शुरू में ही शर्तों की पालना नहीं हो रही, तो आमजन को इसका लाभ कैसे मिलेगा?

जमीन आवंटन की मूल भावना से भटके

पूर्ववर्ती सरकारों ने भी अस्पताल, विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज जैसी संस्थाओं को एक रुपए टोकन राशि या बेहद रियायती दर पर जमीनें आवंटित कीं लेकिन कई मामलों में सामने आया है कि गरीब और जरूरतमंद लोगों को इन संस्थानों से वह सुविधा नहीं मिल पा रही, जो जमीन आवंटन की मूल भावना थी।

सरकारी जांच रिपोर्ट्स में यह स्पष्ट हो चुका है कि कई संस्थाएं रियायत का लाभ तो उठा रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर तय उद्देश्यों की पूर्ति नहीं कर रही हैं।
(यूडीएच मंत्री ने इन तमाम बिंदुओं पर प्रमुख सचिव से चर्चा की है।)

Published on:
26 Jun 2025 08:03 am
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