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Rajasthan: काम की टाइमलाइन तय, फिर भी भूमि आवंटन में अटके कई एमओयू, जानें कारण

राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट ग्लोबल समिट में 35 लाख करोड़ के 10640 एमओयू हुए। इनमें से ए और बी श्रेणी में रखे गए एमओयू में निवेशकों को जल्द से जल्द जमीन आवंटन की टाइमलाइन तय की गई, लेकिन कई मामलों में लापरवाही बरती गई।

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पत्रिका फाइल फोटो

Rising Rajasthan Investment Global Summit: राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट ग्लोबल समिट में 35 लाख करोड़ के 10,640 एमओयू हुए। इनमें से ए और बी श्रेणी में रखे गए एमओयू में निवेशकों को जल्द से जल्द जमीन आवंटन की टाइमलाइन तय की गई, लेकिन कई मामलों में लापरवाही बरती गई। हालात यह है कि कुछ विभागों ने निवेशक से दस्तावेज मांगने से जुड़े पत्र तैयार तो कर लिए, लेकिन उसे संबंधित तक भेजा ही नहीं गया।

खुद निवेशकों ने ऐसे मामलों में विभागों में फाइल टटोली, तब पत्र मिले। जबकि, सरकार ने एमओयू को धरातल पर उतारने के लिए समय सीमा तय कर रखी है। इसके बाद भी कई नोडल अधिकारी और अन्य अफसर लापरवाही बरत रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक इस स्थिति को मुख्य सचिव ने भी गंभीरता से लिया है। पिछले दिनों उन्होंने अधिकारियों को साफ कर दिया कि इस काम में अब लापरवाही न हो।

मामला ठंडे बस्ते में गया

उदयपुर, राजसमंद में माइन्स को लेकर एमओयू किया गया। संबंधित विभाग की ओर से निवेशक को दस्तावेज के लिए पत्र भेजे गए। विभाग शुरुआत में तो पत्राचार करता रहा, लेकिन बाद में वह भी बंद हो गया। निवेशक ने उच्चाधिकारियों को इसके बारे में बताया, लेकिन अभी तक मामला ठंडे बस्ते में है।

फाइलों में ही दबा रह गया पत्र

अजमेर में एक निवेशक ने शैक्षणिक गतिविधि के लिए एमओयू किया। जमीन आवंटन से जुड़े दस्तावेज व अन्य जानकारी के लिए अजमेर विकास प्राधिकरण ने नवम्बर, 2024 को पत्र लिखा, लेकिन यह पत्र एमओयू करने वाले तक पहुंचा ही नहीं। निवेशक ने खुद ही टटोलना शुरू किया, तब सामने आया कि पत्र अजमेर विकास प्राधिकरण की फाइलों में ही दबा हुआ था।

35 लाख करोड़ के एमओयू

ऊर्जा, इंडस्ट्री, माइन्स, नगरीय विकास, पर्यटन, कृषि, शिक्षा, चिकित्सा, डीओआइटी, एविएशन, स्वायत्त शासन व अन्य विभागों से जुड़े एमओयू हैं।

ये तय की थी टाइमलाइन

30 जनवरी, 2025 तक: निवेशकों से संपर्क कर उनसे भूमि आवंटन के आवेदन कराना, भूमि चिन्हिकरण और साइट विजिट सुनिश्चित करना। भू-रूपांतरण सहित अन्य संबंधित कार्य।
28 फरवरी, 2025 तक: भूमि आवंटन, भू-उपयोग परिवर्तन कराना। इसके लिए संबंधित विभागों से जुड़ी एनओसी दिलाना।
31 मार्च, 2025 तक: भूमि आवंटन कर देंगे और उससे जुडे़ सभी मामलों का निस्तारण सुनिश्चित करना।
(यह तो कुछ मामले हैं, ऐसे कई प्रकरण विभागों में लंबित हैं)

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