
शैलेन्द्र अग्रवाल/अरविन्द सिंह शक्तावत। पूर्ववर्ती सरकार के 17 जिले बढ़ाने से प्रदेश में 50 जिले हो गए हैं और वर्तमान सरकार नए जिलों की समीक्षा कर रही है। नए जिले बनाने में जनता की सुविधाओं से ऊपर सियासत हावी दिख रही है। पूर्ववर्ती सरकार के समय कई जिले जनप्रतिनिधियों को तोहफे में दिए गए।
इनकी समीक्षा के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी ललित के पंवार की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने 45 से ज्यादा विधायक 10 सांसद व 11 मंत्रियों से रायशुमारी की। कमेटी ने 11 जगह रात्रि विश्राम एवं हजारों किलोमीटर का सफर कर लोगों के मन की बात जानी, लेकिन अंतिम निर्णय तक जनता के मन के ऊपर सियासत भारी पड़ती दिख रही है। जिला बनाने में राजनीति हावी रहने के कारण धौलपुर, करौली और राजसमन्द जैसे जिले अब भी विकास और आर्थिक तरक्की की दौड़ में पीछे है।
पूर्ववर्ती सरकार के समय बनाए गए कई जिले राष्ट्रीय औसत से काफी दूर है। कुछ जिले तोहफे में दिए, इसी कारण तो जिले बनने के समय कुछ विधायकों को जनता से भी ज्यादा खुशी हुई।
अप्रैल 1982 धौलपुर को भरतपुर जिले से अलग किया, जिससे जिलों की कुल संख्या 27 हुई।
अप्रेल 1991 - 31 जिले
1997 - 32 जिले
2008 - प्रतापगढ़ जिला बनने पर 33
2023-50 जिले
यह सही है धौलपुर, करौली व राजसमंद अब तक जिले जैसा स्वरूप नहीं ले पाए हैं। कुछ जिले तो उपखंड के समान हो गए। विकास के लिए न जिले का आकार बड़ा होना अच्छा है। और न ही आकार बहुत छोटा होना अच्छा है। केकड़ी जैसा क्षेत्र जिला नहीं बनाया जा सकता। जिले का क्षेत्र कम से कम 60-70 किमी तो होना ही चाहिए। कम से कम 4 से 5 उपखंड एक जिले में होने चाहिए। यह भी देखा जाए कि विकास के लिए पर्याप्त पैसा है या नहीं, क्योंकि प्रशासनिक व्यवस्थाएं जुटाना उतना मुश्किल नहीं होता।
-क्षेत्रफल
-आबादी
-सांस्कृतिक एकरूपता
-दूरस्थ गांव की जिला मुख्यालय से दूरी
-संसाधन
-मूल जिले की आबादी
-तहसील व ब्लॉक सहित प्रशासनिक ढांचा
-आबादी घनत्व
-सामान्य स्थिति में जिले की आबादी 10 लाख, आदिवासी क्षेत्र के 4-5 लाख भी पर्याप्त।
-इंफ्रास्ट्रक्चर- निवेश की संभावना ।
-आर्थिक तरक्की के लिए संभावना ।
-आबादी ।
-सरकारी सुविधाएं लोगों तक पहुंचाना आसान हो जाए।
-विकास से संबंधित पृष्ठभूमि ।
-एक उपखंड अधिकारी के पास कोर्ट में 1500 से अधिक मुकदमे न हों।
-एक अति. जिला कलक्टर के पास 2000 से अधिक मुकदमे नहीं हो।
-जनता की आसानी से सुनवाई हो।
-जनसुविधाओं पर मॉनिटरिंग बढ़े। गांव से जिले की दूरी घटे।
-जिले में मेडिकल कॉलेज खुल सके।
-उच्च शिक्षा संस्थान खुल सकें।
-कस्बे और शहरों का विकास हो ।
-रोजगार के साधन बढ़ें।
-आर्थिक संसाधन ज्यादा मिलें।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा था गहलोत राज में कई जिले तुष्टिकरण या खुश करने के लिए बना दिए गए। जिन जिलों की जरूरत नहीं, उन्हें जल्द समाप्त करेंगे। सांचोर एक विधानसभा क्षेत्र का जिला है। तुष्टीकरण के लिए केकड़ी सहित ऐसे कई जिले बनाए। जल्द ही 6-7 नए जिले समाप्त होंगे।
Updated on:
21 Sept 2024 01:07 pm
Published on:
21 Sept 2024 09:16 am
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