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राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 : भाजपा की पहली सूची में कर्नल बैंसला के बेटे को भी मिला टिकट

Rajasthan Assembly Election 2023 : टिकट निर्वाचन आयोग ने सोमवार को राजस्थान विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी। राज्य में 23 नवंबर को मतदान होगा और 3 दिसंबर को मतों की गिनती की जाएगी। चुनाव तिथि की घोषणा के कुछ घंटों बाद राजस्थान विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) (BJP) ने उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी कर दी है। सूची में 7 सांसदों सहित 41 उम्मीदारों के नामों की घोषणा की गई है।

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Vijay Bainsla

Vijay Bainsla

Rajasthan Assembly Election 2023 : टिकट निर्वाचन आयोग ने सोमवार को राजस्थान विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी। राज्य में 23 नवंबर को मतदान होगा और 3 दिसंबर को मतों की गिनती की जाएगी। चुनाव तिथि की घोषणा के कुछ घंटों बाद राजस्थान विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) (BJP) ने उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी कर दी है। सूची में 7 सांसदों सहित 41 उम्मीदारों के नामों की घोषणा की गई है।

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इन नामें में एक प्रमुख नाम विजय बैंसला (Vijay Bainsla) का है, जिन्हें पार्टी ने देवली-उनियारा से उम्मीदवार बनाया है। वह गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष हैं। खास बात यह है कि विजय स्वर्गीय कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला (Kirodi Singh Bainsla) के बेटे हैं, जिन्होंने अनुसूचित जनजाति में गुर्जर समाज को शामिल करने के लिए राजस्थान में आंदोलन किया था।

कौन हैं विजय बैंसला
स्वर्गीस कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे होने के साथ साथ विजय बैंसला खुद भी टेलीकॉम, उपभोक्ता उत्पाद, ऑटोमोबाइल (2 पहिया), औद्योगिक और वाणिज्यिक उत्पाद (ऑयल और ल्युबरिकेंट्स) जैसे व्यावसायिक क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण अनुभव रखने के साथ एक बेहद बहुमुखी बिजनेस लीडर हैं। इसके अलावा गुर्जर आरक्षण आंदोलन की अगुवाई करने के कारण वह प्रदेश की जनता, खासकर गुर्जर समाज के बीच अच्छी खासी पकड़ रखते हैं।

औपचारिक शिक्षा में बायोसाइंसेज में बीएससी और मार्केटिंग एवं फाइनेंस में एमबीए शामिल है। लंबे समय से राजनीति में उतरने की सोच रहे थे गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष होने के चलते विजय अपने समाज के लिए लंबे समय से आवाज बुलंद कर रहे थे। उनके पिता स्व. कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला जरूर भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह (विजय) चुनावी मैदान में कभी नहीं दिखे। लेकिन, इस बार वह मैदान में दिखेंगे। भाजपा ने उन्हें टोंक जिले की देवली-उनियारा सीट से टिकट दिया है। वह काफी समय से टिकट की मांग भी कर रहे थे। गुर्जर समुदाय पर अच्छी पकड़ होने के चलते ही पार्टी ने उन्हें टिकट दिया है।

आरक्षण आंदोलन से चर्चा में आया गुर्जर समाज
2003-2008 के दौरान कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में शुरू हुआ गुर्जर आरक्षण आंदोलन (Gurjar Aarakshan Andolan) ने गुर्जरों को लंबे समय तक चर्चा में रखा। यह आंदोलन काफी उग्र रहा था। अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए समाज के लोग रेलवे ट्रैक पर बैठ गए थे जिसके चलते लंबे समय तक रेल यातायात प्रभावित रहा था। यही नहीं, इस दौरान गुर्जरों ने रेलवे पटरियां भी उखाड़ दी थी। हालांकि, काफी लंबे चले संघर्ष के बाद गुर्जरों को राजस्थान में 5 फीसदी आरक्षण मिला।

कब तक बनें रहेंगे वोटर
टिकट मिलने से पहले विजय ने काफी सख्त तेवर अपनाए थे। उनका कहना था कि प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों में से 73 सीटों पर गुर्जर समाज का प्रभाव है, इसके बावजूद गुर्जरों को चुनावों मेें सही प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है। राजनैतिक दल हमें महज वोटर ही समझते हैं। विधानसभा चुनाव में अच्छा खासा प्रभाव रखने के बाद भी कोई भी पार्टी हमें उचित टिकट नहीं देते हैं, यह ठीक नहीं है।