
जयपुर।
राजनीति में जाति और समाज का असर हमेशा रहा है। हर राजनीतिक दल विधानसभा सीटों पर जातीय समीकरण देखकर ही उम्मीदवारों का चयन करते हैं। जिस सीट पर जिस जाति के वोट सबसे ज्यादा हैं, उस सीट पर उसी जाति के नेता को टिकट मिलता आया है। कोई भी दल जातीय समीकरणों को नजरअंदाज करने की गलती नहीं करता है।
राजस्थान में चार महीने बाद विधानसभा चुनाव का बिगुल बज जाएगा। कांग्रेस और भाजपा ने चुनाव की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। उम्मीदवारों के सर्वे का काम भी चल रहा है। इससे पहले कई जातियों और समाजों ने राजनीतिक दलों के लिए चुनौती और परेशानी खड़ी कर दी है।
राज्य की लगभग सभी प्रमुख जातियों ने अपना वर्चस्व दिखाने और अपना राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए जाति आधारित महापंचायतें बुलानी शुरू कर दी हैं। सबसे ज्यादा जातियों के कार्यक्रम राजधानी जयपुर में ही हो रहे हैं। यह सिलसिला गत मार्च से ही शुरू हो चुका है। विभिन्न जातियों ने रैली कर अपनी जनसंख्या के अनुसार टिकटों में हिस्सेदारी मांगी है।
सबसे ज़्यादा जाटों को टिकट
राजस्थान में जाट समाज के बाहुल्य को देखते हुए कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही दल सबसे ज्यादा टिकट जाटों को देती है। दोनों ने पिछले चुनाव में करीब तीस- तीस टिकट जाट समाज को दिए थे। इसके बाद राजपूत, ब्राह्मण, वैश्य, गुर्जर, ओबीसी और अनुसूचित जनजाति को टिकट दिए गए हैं।
जाटों को सीकर, झुंझुनूं, चूरू, नागौर, बीकानेर, बाड़मेर आदि जिलों में ज्यादा प्रतिनिधित्व मिला है। पूर्वी राजस्थान में गुर्जर, मीणा समाज का ज्यादा प्रभाव है तो कांग्रेस और भाजपा ने इन समाजों के नेताओं को ही टिकट दिए हैं। हाड़ौती संभाग में ब्राह्मण, वैश्य, धाकड़ समाज को मौका दिया जाता है।
नेता भी होते हैं शामिल
ऐसा नहीं है कि समाज की महापंचायतों में सिर्फ समाज या जाति के लोग ही आते हैं। लगातार देखने में आ रहा है कि जिस समाज की रैली या सभा हो रही है उनमें उसी जाति के विधायक, सांसद, मंत्री भी पहुुुंचते हैं और वे भी समाजों के साथ टिकटों की ज्यादा मांग करते हैं।
इन जातियों की हो चुकी हैं महापंचायतें
जयपुर में जाट, राजपूत, ब्राह्मण, कुमावत, कुम्हार, माली, अनुसूचित जाति-जनजाति की महापंचायतें हो चुकी हैं। सभी महापंचायतों में यह आवाज उठ रही है कि उन्हें टिकट ज्यादा संख्या में दिए जाएं। अब आने वाले दिनों में वैश्य, जांगिड़, कायस्थ और विप्र समाज की महापंचायतें होने वाली हैं। ये सिलसिला जुलाई से शुरू होगा और सितंबर तक चलेगा। राजस्थान में विधानसभा चुनाव की घोषणा अक्टूबर में होगी। इसलिए ये सब समाज दबाव बनाएंगे।
Published on:
19 Jun 2023 02:24 pm
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