दरअसल, एक भर्ती परीक्षा कराने में बोर्ड के करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। इसमें पेपर तैयार करने से लेेकर, छपवाने, उन्हें परीक्षा केन्द्रों पर पहुंचाने और परीक्षा में लगाए गए सरकारी कर्मचारियों के भुगतान शामिल हैं। बोर्ड परीक्षा में पंजीकृत अभ्यर्थियों के हिसाब से तैयारी तो करता हैं लेकिन भर्ती परीक्षा में अभ्यर्थी की संख्या आधी ही रह जाती हैं। इससे बोर्ड का बेवजह खर्चा होता है। एक अभ्यर्थी पर अनुमानित करीब 500 रुपए का खर्चा आता है। ऐसे में बोर्ड आवेदन करने के बाद भी लगातार गैरहाजिर रहने वाले अभ्यर्थियों पर कार्रवाई करने जा रहा है।
पिछली परीक्षाओं में इतने गैरहाजिर
- सात सितंबर को महिला पर्यवेक्षक भर्ती परीक्षा में 3638 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए। 50.13 फीसदी ही उपिस्थत रहे।
- 30 अगस्त को छात्रावास अधीक्षक भर्ती परीक्षा में 2292 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए। लेकिन में 60.64 फीसदी अभ्यर्थी हाजिर हुए।
- 25 अगस्त को एएसओ प्रतियोगी परीक्षा में जयपुर शहर के केन्द्रों पर 17.46 फीसदी अभ्यर्थियों ने ही परीक्षा दी।
सीईटी स्कोर की वैधता बढ़ाने की तैयारी
सरकार सीईटी परीक्षा के नए नियमों को जारी करने जा रही है। इसी के साथ सीईटी स्कोर की वैधता भी बढ़ाई जा सकती है। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष ने अपने सोशल मीडिया अकांउट पर यह जानकारी दी है। इसमेें बताया है कि सीईटी स्कोर की वैधता वर्तमान में एक साल है। इसके बाद वापस अभ्यर्थियों को परीक्षा देनी होती है। सीईटी स्कोर की वैधता तीन साल या इससे अधिक कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष आलोक राज का कहना है कि, कई भर्ती परीक्षाओं में देखा गया है कि अभ्यर्थी परीक्षा देने में रूचि नहीं दिखा रहे। बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों के गैरहाजिर रहने से बोर्ड तैयारी व्यर्थ जाती हैं वित्तीय नुकसान भी होता है। आवेदन करने के बाद भी परीक्षा देने नहीं आने वाले अभ्यर्थियों के खिलाफ एक्शन की तैयारी कर रहे हैं।