
प्रतीकात्मक तस्वीर - पत्रिका
Rajasthan News: बच्चों को घर की रौनक कहा जाता है, जिनके चहकने से पूरा घर खुशियां से झूम उठता है, लेकिन आज उन्हीं बच्चों की हंसी को अपनों की ही 'बुरी नजर' लग गई हैं। हाल ही में अलवर जिले के तिजारा-खैरथल क्षेत्र में हुई दिल दहला देने वाली घटना इसका जीता जागता उदाहरण है, जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। एक युवक ने अपनी पत्नी को वश में करने के लिए तांत्रिक के कहने पर अपने ही पांच साल के भतीजे की बलि चढ़ा दी। तांत्रिक की सलाह पर उसने मासूम बच्चे की हत्या कर उसका खून और कलेजा निकालने की कोशिश की। पुलिस ने आरोपी युवक और तांत्रिक को गिरफ्तार कर लिया है। यह घटना न केवल अंधविश्वास की भयावहता को दर्शाती है, बल्कि समाज में बढ़ते मानसिक तनाव और पारिवारिक टकराव का भी खुलासा करती है।
यह कोई अकेला मामला नहीं है। बीते पांच महीनों में राजस्थान में 20 से अधिक बच्चों की हत्या उनके माता-पिता या रिश्तेदारों द्वारा की गई है। इनमें से कई मामले पति-पत्नी के झगड़ों, अवैध संबंधों, गुस्से, मानसिक तनाव और अंधविश्वास से जुड़े हैं। तिजारा की यह घटना दिखाती है कि अब अंधविश्वास भी बच्चों के जीवन पर खतरा बनता जा रहा है।
17 जुलाई, डूंगरपुर: पति से विवाद के बाद एक महिला ने अपने दो बच्चों को कुएं में फेंककर मार डाला। छह साल की बच्ची भागने में सफल रही।
26 जून, दौसा: गुस्से में पिता ने अपनी छह महीने की बेटी की हत्या कर दी।
23 जून, धौलपुर: दूसरी शादी से नाराज मामा ने 11 महीने के भांजे और उसकी मां को मार डाला।
16 मई, चूरू: पत्नी से नाराज पति ने तीन बच्चों और पत्नी की हत्या कर दी।
29 मई, अजमेर: लिव-इन की चाह में मां ने प्रेमी के साथ मिलकर चार साल की बेटी को मारकर शव अलमारी में छिपाया।
14 अप्रैल, झुंझुनूं: माता-पिता ने तीन बच्चों को जहर देकर गला काटा और खुदकुशी की कोशिश की।
27 मार्च, सीकर: पत्नी से झगड़े के बाद पिता ने पांच महीने की जुड़वां बेटियों को मारकर मिट्टी में दबा दिया।
22 जनवरी, बीकानेर: माता-पिता ने छह महीने की बच्ची को नहर में फेंककर मार डाला।
21 जनवरी, कोटा: सौतेला पिता बच्ची के रोने से नाराज होकर उसे दीवार पर पटककर मार डाला।
एसएमएस अस्पताल जयपुर के मनोचिकित्सक डॉ. धर्मदीप सिंह के अनुसार, ये घटनाएं मानसिक असंतुलन, गुस्से पर नियंत्रण की कमी और सामाजिक संवाद के अभाव को दर्शाती हैं। कमजोर होते पारिवारिक रिश्ते और तनाव बच्चों के लिए खतरा बन रहे हैं।
पुलिस का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास और तांत्रिकों का प्रभाव इन घटनाओं को बढ़ावा दे रहा है। एनजीओ और पुलिस जागरूकता अभियान चला रहे हैं, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य सहायता और काउंसलिंग की कमी एक बड़ी चुनौती है। समाज को जागरूक करने और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता है।
Published on:
23 Jul 2025 12:50 pm
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