
Loksabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए उसके कई दिग्गज नेताओं को पार्टी में शामिल कर लिया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की मौजूदगी में रविवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में कांग्रेस सरकार के समय मंत्री रहे दो नेता, एक पूर्व सांसद, पांच पूर्व विधायक सहित बड़ी संख्या में नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। भाजपा में शामिल होने वाले नेता, कार्यकर्ता, रिटायर्ड अफसर, सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों की संख्या करीब 1 हजार 370 बताई गई है। इनमें से भाजपा ने 45 नेताओं को अपने-अपने क्षेत्र में प्रभावी माना है।
झोटवाड़ा, कोटपूतली सहित कई विधानसभाओं के तो सभी कांग्रेसी जनप्रतिनिधि भाजपा में शामिल हो गए। दो पूर्व मंत्रियों को तो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सबसे नजदीकी माना जाता रहा है। सदस्यता ग्रहण समारोह में केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव, उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ सहित अन्य वरिष्ठ भाजपा नेता मौजूद रहे। भाजपा में शामिल होने के बाद लालचंद कटारिया ने कहा कि वे नेता नहीं एक कार्यकर्ता की हैसियत से भाजपा में शामिल हुए हैं। सूत्रों के अनुसार ऐसी भी चर्चा है कि कटारिया को अजमेर या जयपुर ग्रामीण से चुनाव लड़वाया जा सकता है। हालांकि, भाजपा के बड़े नेताओं का यह कहना है कि सभी ने बिना शर्त भाजपा जॉइन की है।
इन लोकसभा सीटों पर भाजपा को बढ़त की उम्मीद
नागौर, जयपुर ग्रामीण, जयपुर शहर, चूरू, झुंझुनूं, राजसमंद, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, धौलपुर-करौली, भीलवाड़ा, बीकानेर, अजमेर, भरतपुर।
विधानसभा चुनाव से पहले लिख दी गई थी पटकथा
भाजपा से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार दो पूर्व मंत्रियों और पूर्व विधायकों से बड़े नेताओं की पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान ही बातचीत हो गई थी। ये नेता उसी समय भाजपा में आने को तैयार थे, लेकिन भाजपा ने एक रणनीति के तहत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को झटका देने की योजना बनाई और अब लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले इन नेताओं को भाजपा में शामिल किया।
रिश्तेदार एक साथ भाजपा में
भाजपा में शामिल हुए कई कांग्रेस नेता आपस में नजदीकी रिश्तेदार भी हैं। लालचंद कटारिया जहां रिछपाल मिर्धा के समधी हैं तो वहीं आलोक बेनीवाल और सुरेश चौधरी भी आपस में समधी हैं। पूर्व विधायक विजयपाल मिर्धा ( पूर्व मंत्री लाल चंद कटारिया के दामाद ) का एक ड्राइवर लम्बे समय से लापता है। विधानसभा चुनाव में डेगाना विस से भाजपा प्रत्याशी एवं वर्तमान विधायक अजय सिंह किलक ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था।
ये बड़े नेता हुए भाजपा में शामिल
लालचंद कटारिया, राजेन्द्र यादव, रिछपाल मिर्धा, खिलाड़ी लाल बैरवा, आलोक बेनीवाल, विजय पाल मिर्धा, रामपाल शर्मा, रामनारायण किसान, अनिल व्यास, प्रिया सिंह मेघवाल, सुरेश चौधरी, रिजू झुंझुनवाला, रणधीर सिंह भिंडर, दीपेन्द्र कंवर भिंडर।
जनता सेना का भी हुआ विलय
जनता सेना के रणधीर सिंह भिंडर और उनकी पत्नी दीपेन्द्र कंवर भिंडर फिर से भाजपा में आ गए हैं। करीब 11 साल बाद भिंडर परिवार की भाजपा में वापसी हुई है। असम के राज्यपाल और भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे गुलाबचंद कटारिया और भिंडर के बीच कभी भी नहीं बनी। मेवाड़ में भिंडर का अपन खुद का जनाधार है। पार्टी ने इसीलिए उन्हें भाजपा में वापसी करवाई। भिंडर की वापस से तीन लोकसभा सीटों पर पार्टी को फायदे की उम्मीद है। भिंडर ने इस दौरान अपनी पार्टी जनता सेना का विलय भी भाजपा में कर दिया।
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भाजपा सरकार हर छह माह में देगी जनता को हिसाब: सीएम
मुख्यमंत्री ने इस दौरान अपने संबोधन में पिछली कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वे जो कहते हैं, कुछ नहीं करते। हमने जो कहा वो करके दिखाया। कांग्रेस ने हमेशा जनता के साथ विश्वासघात किया। पीएम भी हर साल जनता के समक्ष अपने कामकाज का हिसाब रखते हैं और प्रदेश की भाजपा सरकार भी हर छह माह में जनता के सामने अपने कामकाज का हिसाब रखेगी। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने आते ही कई जिलों की पानी की समस्या को दूर करने के मजबूत कदम उठाए। ईआरसीपी योजना का शिलान्यास भी हम करेंगे और उद्घाटन भी हम करेंगे।
कांग्रेस के बड़े नेताओं के भाजपा में शामिल होने के मायने
- विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी में नई लीडरशिप उभरी है। इस लीडरशिप को स्थापित करने की दिशा में यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि पार्टी ऐसे नेताओं पर दाव खेलती है, जो पूरी तरह से परिपक्व हैं और जिनकी राजनीतिक पकड़ मजबूत है।
- प्रदेश में पार्टी को सभी 25 सीटें जीतनी हैं, इसलिए यह दांव खेल प्रदेश में भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि कांग्रेस का प्रदेश में कोई असर नहीं है।
- ऐसा माना जाता रहा है कि ओबीसी के एक बड़े वर्ग का कांग्रेस के प्रति लगाव है, भाजपा ने इस माहौल को तोड़ने की कोशिश की है।
- यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि कांग्रेस अब कमजोर हो गई है, वहां कोई रहना नहीं चाहता।
- लोकसभा के बाद निकाय और पंचायत चुनाव होने हैं। उन पर भी भाजपा इस जॉइनिंग का असर चाहती है।
- जनता सेना का विलय कर पार्टी ने यह भी संदेश देने की कोशिश की है कि जो उसके अपने दूर हो चुके हैं, उनके लिए पार्टी के दरवाजे अभी भी खुले हुए हैं।
Updated on:
11 Mar 2024 07:31 am
Published on:
11 Mar 2024 07:25 am
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