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Rajasthan Gaurav Train: रामेश्वरम के लिए रवाना हुई भारत गौरव ट्रेन, 11 जिलों के 800 श्रद्धालु करेंगे तीर्थ दर्शन

Rajasthan Gaurav Train: तीर्थों की महिमा और राष्ट्रीय एकता का संदेश लेकर रवाना हुई राजस्थान वाहिनी भारत गौरव पर्यटक ट्रेन।

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जयपुर

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Rajesh Dixit

Jul 23, 2025

Bharat Gaurav Tourist Train,

रामेश्वरम के लिए राजस्थान वाहिनी भारत गौरव पर्यटक ट्रेन को दिखाई हरी झंडी। फोटो पत्रिका

Bharat Gaurav Tourist Train: जयपुर। हिंदू समाज में तीर्थयात्रा की पुरातन परंपरा और उसके आध्यात्मिक व सामाजिक महत्व को आगे बढ़ाते हुए बुधवार को देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत ने “राजस्थान वाहिनी भारत गौरव पर्यटक ट्रेन” को हरी झंडी दिखाकर रामेश्वरम-मदुरई तीर्थयात्रा के लिए रवाना किया। देवस्थान विभाग की वरिष्ठजन तीर्थयात्रा योजना के अंतर्गत आयोजित इस आयोजन में हजारों श्रद्धालु तीर्थ दर्शन के लिए उत्साहित दिखे।

कार्यक्रम के दौरान कुमावत ने कहा कि तीर्थस्थल न केवल धर्म का केंद्र हैं, बल्कि वे राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक समरसता और सामाजिक समन्वय के प्रतीक भी हैं। उन्होंने कहा कि जब विभिन्न जातियों और समुदायों के लोग एक साथ तीर्थ यात्रा पर निकलते हैं, तो आपसी भेदभाव समाप्त होकर एकता और सौहार्द की भावना मजबूत होती है।

800 यात्रियों का दल रामेश्वरम-मदुरई के लिए हुआ रवाना

इस विशेष पर्यटक ट्रेन से राजस्थान के 11 जिलों जयपुर, अलवर, सीकर, झुंझुनू, दौसा, खैरथल-तिजारा, कोटपुतली-बहरोड़, भरतपुर, सवाईमाधोपुर, धौलपुर और करौली के 800 तीर्थयात्री, जिनमें 776 वरिष्ठजन शामिल हैं, रामनाथस्वामी ज्योतिर्लिंग, धनुषकोटि, ब्रह्मकुंड और मदुरई के मीनाक्षी मंदिर के दर्शन करेंगे। यह ट्रेन 25 जुलाई को रामेश्वरम पहुंचेगी और फिर दर्शन पश्चात जयपुर लौटेगी।

यात्रियों के लिए विशेष सुविधाओं से सुसज्जित ट्रेन

इस विशेष एसी ट्रेन में 14 कोच हैं, जिनमें 10 यात्री कोच हैं। यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए प्रत्येक कोच में दो सरकारी कर्मचारी, एक ट्रेन प्रभारी, एक डॉक्टर, और दो नर्सिंग अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। यात्रियों को तुलसी माला और पटवस्त्र देकर पारंपरिक रूप से विदा किया गया।

राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत से सजाया ट्रेन को

ट्रेन के डिब्बों को राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक आस्था को ध्यान में रखते हुए सजाया गया है। मरुधरा की सौंदर्यता, राजस्थानी दुर्ग, कला, संगीत, पशु-पक्षी जैसे रणथंभौर के बाघ, तालछापर के कृष्णमृग, गाय और ऊँट के प्रतीकों को सजावट में प्रमुखता दी गई है। पीताभ केसरिया रंग से सजे डिब्बों में राजस्थान की राजसी और आध्यात्मिक छवि उभरकर सामने आती है।