
जयपुर। चुनावी मौसम में सरकार ने फिर नियम कायदों को ताक पर रख सरकारी रुपयों का उपयोग कर वोट बटोरने का रास्ता खोल दिया। धार्मिक स्थल विकास के नाम पर यह गली निकाली गई है। विधायक कोष से राशि खर्च करने में अब तक जहां धार्मिक स्थलों का मामला प्रतिबंधित श्रेणी में था, वहीं अब सरकार ने मंगलवार को इसकी भी अनुमति दे दी है। जबकि विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास योजना को संचालित करने वाला ग्रामीण विकास विभाग इसके पक्ष में नहीं था। नए प्रावधान के अनुसार देवस्थान विभाग के अधिसूचित धार्मिक स्थल एवं वक्फ बोर्ड की अधिसूचित संपत्तियों के आस पास सड़क, नालियां, स्ट्रीट लाईटें आदि विकास कार्य विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के जरिए किए जा सकेंगे। प्रदेश में हर विधायक को विधायक कोष में सालाना सवा दो करोड़ की राशि दी जाती है।
देवस्थान विभाग ने दिया प्रस्ताव
एक माह पहले देवस्थान विभाग ने मंत्री राजकुमार रिणवा को प्रस्ताव भेजा था। सूत्रों ने अनुसार धार्मिक पूजा स्थलों का बिन्दु योजना के तहत नहीं कराए जा सकने वाले कार्यों की सूची में शामिल होने के चलते ग्रामीण विकास विभाग ने इस प्रस्ताव के पक्ष में टिप्पणी नहीं की। लेकिन फिर भी निर्णय किया।
स्वीकृति के अधिकार कलक्टर से छीने
सरकार ने योजना नियमों में संशोधन कर प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृतियां जारी करने के अधिकार कलक्टरों से लेकर जिला परिषदों के सीईओ को दे दिए। मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने कहा सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के अधिकार कलक्टर के पास रहेंगे।
अभी प्रतिबंधित श्रेणी
ग्राम सेवा सहकारी समिति या दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति के अलावा वाणिज्यिक या निजी संस्था की सम्पत्ति।
वस्तु या सामान की खरीद
भूमि अधिग्रहण या अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा
व्यक्तिगत लाभ को परिसंपत्ति
धार्मिक पूजा स्थल
निजी भूमि पर कोई कार्य
---नियमों में जिसकी मनाही है, सरकार उसका प्रावधान क्यों रही है। वोट की राजनीति के लिए एेसा हो रहा है। इससे साम्प्रदायिक सौहाद्र्ध बिगडऩे की आशंका है।
गोविन्द डोटासरा, कांग्रेस विधायक
---हमने देवस्थान और वक्फ दोनों की सम्पत्तियों के लिए यह प्रावधान किया है। कई विधायकों ने मांग की थी। इसी आधार पर प्रावधान किया गया।
राजेन्द्र राठौड़, ग्रामीण विकास मंत्री
Published on:
01 Nov 2017 11:19 am
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