डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर साधा निशाना, एक दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री राजे के बंगला खाली करने पर दिया था बयान, पायलट और गहलोत के बयानों में आने लगे विरोधाभास सामने
सीएम और डिप्टी सीएम में सामने आने लगे मतभेद, पायलट ने कानून व्यवस्था के नाम पर गहलोत पर साधा निशाना
जयपुर। राजस्थान ( Rajasthan ) की कांग्रेस सरकार ( Congress Government ) में चल रहा अंदरूनी मतभेद एक बार फिर से खुलकर बाहर आने लगा है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ( Vasundhara Raje ) का सरकारी बंगला खाली कराए जाने का मामला हो या प्रदेश की कानून व्यवस्था का उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ( Sachin Pilot ) और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( CM Ashok Gehlot ) के बयानों में विरोधाभास सामने आने लगे हैं। बुधवार को भी पायलट ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर को लेकर मुख्यमंत्री पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पायलट चौपाल ग्रामीण प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित चौपाल राजीविका स्टोर (स्वयं सहायता समूह उत्पाद विक्रय केंद्र) के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे।
पायलट ने राज्य की कानून व्यवस्था पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था पर और ध्यान देने की जरूरत है। जनता को कांग्रेस सरकार से काफी उम्मीद हैं, जिन्हें हमें हर हाल में पूरा करना होगा। अलवर, धौलपुर, भरतपुर आदि स्थानों पर कानून व्यवस्था ठीक नहीं है। इसलिए हमें लॉयन ऑर्डर पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री गहलोत ही प्रदेश के गृहमंत्री भी है। इसके चलते उनके पायलट के इस बयान के अलग ही राजनीतिक मायने निकाले जाने लगे हैं।
कटारिया ने कहा किसी और को दें गृह विभाग प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष गुलाब चन्द कटारिया ने राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की जमकर धज्जियां उड़ रही हैं। पपला गुर्जर पुलिस की मिलीभगत से भागा है। यदि सीएम गहलोत से गृह विभाग नहीं संभल रहा तो वे किसी अन्य साथी को इसका जिम्मा दे दें।
राजे के बंगले पर भी साधा था निशाना गौरतलब है कि मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का सरकारी बंगला खाली कराए जाने के सवाल पर पायलट ने उम्मीद जताई थी कि मुख्यमंत्री इस पर कुछ ना कुछ कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा था कि ‘मुझे लगता है कि सबको कानून की पालना करना चाहिए।’ जबकि इस मामले में सीएम गहलोत ने पहले ही कह रखा है कि सरकार की वरिष्ठता को लेकर पॉलिसी द्वारा तय किया जाएगा कि पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा बंगला खाली करवाया जाए या नहीं। गौरतलब है कि राजस्थान उच्च न्यायालय ने मिलाप चन्द डांडिया एवं अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी गई आजीवन सुविधाओं पर रोक लगा दी गई थी। इस फैसले के अंतर्गत पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार बंगले खाली करने थे। प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और जगन्नाथ पहाड़िया को सरकारी बंगले मिले हुए हैं।