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मानसून से पहले बन रहीं सड़कें, बारिश में बह जाएंगे जनता के 100 करोड़ रुपए

राजधानी में सड़कों को बनाने के नाम पर इंजीनियरों ने एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित कर दिया है। यही वजह है कि हर वर्ष 400 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होने के बाद भी शहर की सड़कें चमाचम नहीं दिखतीं।

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जयपुर

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Nupur Sharma

Jun 16, 2023

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जयपुर। राजधानी में सड़कों को बनाने के नाम पर इंजीनियरों ने एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित कर दिया है। यही वजह है कि हर वर्ष 400 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होने के बाद भी शहर की सड़कें चमाचम नहीं दिखतीं। मानसून से ठीक पहले शहर की सड़कों पर करीब 100 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। इनमें से ज्यादातर सड़कें बरसात में क्षतिग्रस्त होंगी। पहले इनकी मरम्मत होगी। दिवाली से पहले जेडीए और नगर निगम फिर सड़क निर्माण में करोड़ों रुपए खर्च करेंगे।


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रातों-रात बन रहीं सड़कें
● अभी सड़कों का काम शहर में तेजी से चल रहा है। वैशाली नगर, विद्याधर नगर, मुरलीपुरा, प्रताप नगर और मालवीय नगर में नई सड़क बनाई जा रही है।
● रातों-रात कॉलोनी के बाहर सड़कें बनाई जा रही हैं। कई बार सड़क को बिना साफ किए ही डामर बिछा रहे हैं। इससे सड़क कुछ दिन बाद ही टूट जाती है।
● जेडीए के पृथ्वीराज नगर उत्तर और दक्षिण जोन की कई कॉलोनियों में सड़कें गायब हो चुकी हैं, लेकिन जेडीए यहां सड़कें नहीं बना रहा है।
● मानसून से कुछ माह पहले 100 करोड़ रुपए से सड़कों के काम हो रहे हैं।
● मानसून के जाने और दिवाली की आहट शुरू होने के साथ ही इंजीनियर सड़कों को शुरू करने का काम करते हैं। तीन-चार माह में 300 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जाते हैं।
● मानसून के दौरान सड़कें क्षतिग्रस्त होती हैं और मरम्मत के नाम पर 50 करोड़ रुपए तक खर्च किए जाते हैं।

नालों की भी सही से सफाई नहीं
राजधानी के दोनों नगर निगम को 15 जून से पहले नालों की सफाई करनी होती है। अब तक 60 फीसदी नालों को साफ करने का दावा किया जा रहा है। मानसून के दौरान पानी की निकासी न होने से सड़क पर पानी भरता है और सड़क क्षतिग्रस्त होती है। दोनों निगम 10 करोड़ से अधिक नाला सफाई पर खर्च कर रहे हैं।


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पेचवर्क से चलाएं काम, बारिश के बाद हों बड़े काम
मानसून से पहले उन्हीं सड़कों पर काम किया जाए, जो बहुत जरूरी हैं। यदि पेचवर्क से काम हो जाए तो चलाना चाहिए। मानसून के बाद सड़कों का काम होना चाहिए। इससे सड़कें आठ से 10 माह तक सही बनी रहती हैं। बारिश में डामर की सड़कें जलभराव से खराब होती ही हैं। क्षतिग्रस्त सड़कों को सही करने और फिर नया बनाने में करोड़ों रुपए खर्च होते हैं।-ओपी गुप्ता, सेवानिवृत्त, नगर निगम आयुक्त