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RTE : आरटीई में चयनित बच्चों का प्रवेश होगा या नहीं, गारंटी नहीं, निजी स्कूलों ऐसे करते हैं मनमानी

RTE Admission : जयपुर में करीब 50 हजार से अधिक बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश का मौका मिलेगा, लेकिन आरटीई में चयनित बच्चों का प्रवेश होगा या नहीं अभी तक इसकी गारंटी नहीं है।

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Rajasthan Jaipur RTE Selected Children Admission or not No Guarantee Private Schools act Arbitrarily

RTE Admission : राजस्थान सरकार ने नए सत्र में आरटीई के तहत प्रवेश के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रदेश में करीब तीन लाख जरूरतमंद बच्चों को सरकार नि:शुल्क शिक्षा का दावा कर रही है। जयपुर में करीब 50 हजार से अधिक बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश का मौका मिलेगा, लेकिन आरटीई में चयनित बच्चों का प्रवेश होगा या नहीं अभी तक इसकी गारंटी नहीं है। कारण है कि हर साल प्रवेश के समय निजी स्कूलों की ओर से मनमानी की जाती है। अभिभावकों पर दबाव बनाकर उन्हें प्रवेश से वंचित कर दिया जाता है। अभिभावकों की ओर से हर सत्र में शिक्षा विभाग को शिकायत की जाती हैं, लेकिन विभाग की ओर से स्कूलों पर नकेल नहीं कसी जाती। जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर विभाग स्तर पर सैकड़ों शिकायतें ऐसी हैं जिन पर आज तक कार्रवाई नहीं की गई है।

इस तरह हो रहे परेशान

वैशाली नगर निवासी अभिभावक की बेटी एक निजी स्कूल में कक्षा छठवीं में पढ़ रही है। उनकी बेटी का आरटीई में चयन सत्र 2016-17 में हुआ था। अब स्कूल की ओर से आरटीई के प्रवेश को निरस्त बताकर फीस की मांग की जा रही है। पीड़ित अभिभावक ने शिकायत दी है।

सवालों के घेरे में पोर्टल

आरटीई में प्रवेश प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और सुनवाई के लिए सरकार ने नया पोर्टल शुरू किया है, लेकिन पोर्टल पर सवाल खड़े हो रहे हैं। अभिभावक संगठनों का तर्क है कि अगर प्रवेश प्रक्रिया से पहले पोर्टल शुरू नहीं किया तो हर वर्ष की तरह अभिभावक परेशान होंगे।

निजी स्कूलों की मनमानी बढ़ी

निजी स्कूलों की मनमानी इस कदर बढ़ गई है कि आरटीई में प्रवेशित बच्चों को भी निजी स्कूल से बाहर कर देते हैं। दरअसल, आरटीई के तहत प्रवेश निरस्त बताकर बच्चों को फीस देने का दबाव डाला जाता है। ऐसे मामले भी शहर में आए हैं। अभिभावक चिंतित हैं। परेशान अभिभावकों ने जिला शिक्षा अधिकारी के यहां शिकायत दर्ज कराई है। ये बच्चे वे हैं जिनका प्रवेश पहली कक्षा में आरटीई के तहत हुआ था और ये बच्चे अब पांचवीं और छठवीं कक्षा में आ चुके हैं। जबकि आरटीई एक्ट के तहत बच्चों को आठवीं तक निजी स्कूलों में नि:शुल्क शिक्षा का प्रावधान है।

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ताकि समय से जरूरतमंदों को प्रवेश मिल सके

शिक्षा विभाग और निजी स्कूलों को एक बैठक में विवाद का निपटारा करना चाहिए। हर साल निजी स्कूल, अभिभावकों के विवाद सामने आते हैं। सरकार अगर पोर्टल बना रही है तो इसमें आने वाली परिवेदनाओं का समाधान भी जरूरी है, ताकि समय से जरूरतमंदों को प्रवेश मिल सके।
राजेन्द्र शर्मा हंस, पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी जयपुर

निजी स्कूलों की ढेरों शिकायत शिक्षा विभाग में लंबित

निजी स्कूलों की ढेरों शिकायत शिक्षा विभाग में लंबित हैं। स्कूलों की मान्यता खत्म करने तक के प्रस्ताव विभाग को भेजे गए, लेकिन हर साल स्कूलों की मनमानी के आगे विभाग झुक जाता है। जरूरतमंद अभिभावकों की आवाज को दबा दिया जाता है।
अभिषेक जैन, प्रवक्ता संयुक्त अभिभावक संघ

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निजी स्कूल ऐसे करते हैं गड़बड़ी

आरटीई अधिनियम के तहत एक कक्षा में 25 फीसदी सीट आरटीई के बच्चों के लिए होंगी। यानी तीन बच्चों पर एक आरटीई बच्चे का प्रवेश होगा। इसके लिए स्कूलों को आरटीई पोर्टल पर एंट्री करनी होती है। जब तक स्कूल पोर्टल पर गैर आरटीई बच्चों की एंट्री नहीं करेंगे तब तक आरटीई बच्चों का प्रवेश नहीं होता। ऐसे में निजी स्कूल इन्हीं बच्चों का प्रवेश रोकने के लिए मनमानी शुरू कर देते हैं। स्कूलों की ओर से एंट्री बंद कर दी जाती है। इससे आरटीई के बच्चों को प्रवेश नहीं मिल पाता।

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