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छोटी उम्र में उठा पिता का साया, फिर भी लाडो ने हिम्मत न हारी, 10वीं बोर्ड में प्राप्त किए 92 प्रतिशत

कोमल सैनी ने विपरित परिस्थितियों में धैर्य रखकर मेहनत की और दसवीं बोर्ड परीक्षा में 92 प्रतिशत अंक प्राप्त कर परिवार और राजधानी जयपुर का मान बढाया है।

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जयपुर

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rohit sharma

Jun 04, 2019

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छोटी उम्र में उठा पिता का साया, फिर भी लाडो ने हिम्मत न हारी, 10वीं बोर्ड में प्राप्त किए 92 प्रतिशत

जयपुर।

''वो पथ क्या पथिक कुशलता क्या,जिस पथ में बिखरें शूल न हों, नाविक की धैर्य कुशलता क्या, जब धाराएं प्रतिकूल न हों।'' महादेवी वर्मा की यह कविता मनुष्य को हर कदम पर संघर्ष की महत्ता समझाती रही है। कविता की यह लाइनें जयपुर की कोमल सैनी पर पूरी तरह से चरितार्थ होती है जिसने विपरित परिस्थितियों में धैर्य रखकर मेहनत की और दसवीं बोर्ड परीक्षा में 92 प्रतिशत अंक प्राप्त कर परिवार और राजधानी जयपुर का मान बढाया है।


जयपुर की कोमल और उनके परिवार की जिंदगी भी सामान्य लोगों की तरह चल रही थी। जिंदगी ने जब करवट ली तो नियति ने परिवार की पुरी खुशियां छिन ली। दो साल पहले कोमल के सर से पिता का साया उठ गया। 24 नवम्बर 2017 को कोमल के पिता चेतन सैनी का स्वर्गवास हो गया। इस दु:खद घड़ी में पूरा परिवार टूट गया। पिता के दूर जाने के बाद परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूट गया। संयुक्त परिवार के सभी लोगों ने अपने आप को जैसे—तैसे संभाला।


2017 के बाद जीवन में कई उतार चढ़ाव आए पर कोमल की मां निर्मला देवी ने अपने बच्चों को कभी टूटने नहीं दिया। बच्चों को ऐसी परवरिश दी की वह हर परिस्थिति से लड़ने को तैयार रहे। 11 दिसंबर 2003 को जन्मी 16 वर्षीय कोमल ने भी कुछ कर गुजरने की ठान ली। कोमल ने एक निजी स्कूल से दसवीं की पढाई की और दसवी बोर्ड की परीक्षा में 92.33 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। कोमल के रिजल्ट को देखकर परिवार को सभी लोग बहुत खुश हुए।


कोमल ने बताया कि सेल्फ स्टडी करके उसने यह मुकाम हासिल किया है। कोमल ने हिंदी में 100 में से 98, विज्ञान में 99, सामाजिक विज्ञान में 94 और संस्कृत में 89 अंक हासिल किए है। दसवीं पास करने के साथ ही कोमल ने भविष्य की प्लानिंग भी कर ली है। कोमल भविष्य में सीए बनना चाहती है।