इनकी खास बात यह है कि कई देर तक इनकी खुशबू रहती है। राजपरिवार की रंग खेलने की शान माने जाने वाला गुलाबी नगरी का गुलाल गोटा आज पूरी दुनिया में अपनी खास पहचान बना चुका है। गंगा जमुनी संस्कृति के प्रतीक गुलाबी शहर में होली त्योहार पर मुस्लिम समाज के लोग गुलाल गोटा तैयार कर साम्प्रदायिक सौहार्द को भी बढ़ावा दे रहे हैं। बीते कई सालों से पूर्व राज परिवारों से लेकर यह आम लोगों की पहली पसंद बनता जा रहा है। जयपुर के मनिहारों के रास्ते पर सजी दुकानों पर गुलाल गोटा शहरवासी ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटकों की भी पहली पसंद बना हुआ है।
नहीं है कोई नुकसान परकोटे समेत अन्य दुकानों पर गुलाल, पिचकारी और रंग के साथ ही गुलाल गोटे नजर आ रहे हैं। चीनी की बुर्ज में रहने वाले कारीगर मोहम्मद सादिक, शहनाज बानो ने बताया कि रजवाड़े के समय से होली खेलने के लिए गुलाल गोटे का इस्तेमाल किया जाता रहा है। पहले गुलाल गोटा से जयपुर नरेश अपनी जनता से होली खेला करते थे। परंतु समय के साथ ही गुलाल गोटे ने भी कई पुश्तों में हो रहे बदलावों को भी देखा है।
गुलाबीनगरी में आने वाले पर्यटक गाइडों के साथ गुलाल गोटा खरीदने आ रहे हैं। इनमें सबसे खास बात यह है कि सालभर से लेकर हर उम्र के लोग इसे आसानी से फेंककर रंग खेल सकते हैं। न ही इसके कोई नुकसान है। आमजन का मानना है कि गुलाल गोटा जयपुर की संस्कृति से जुड़ा है।
ऐसे होता है तैयार लाख से बने गुलाल गोटे का वजन महज दस ग्राम होता है। लाख को गर्म कर फूंकनी की मदद से फुलाकर उसमें गुलाल भरी जाती है। लाख की परत इतनी नरम और हल्की होती है कि किसी पर फेंकने से वह टूट जाती है और सामने वाला अलग-अलग खुशबुदार अरारोट की गुलाल से सराबोर हो जाता है।
ये गुलाल गोटे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, अहमदाबाद, मथुरा, वृंदावन अन्य जगहों पर भेजे जा रहे हैं। विदेशों में गिफ्ट पैकिंग की मांग कार्पोरेट जगत से लेकर देश से कई जगहों पर कई महीने पहले गुलाल गोटे के ऑर्डर दे चुके हैं। ब्रिटेन, स्पेन, कनाड़ा, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल, फ्रांस सहित अन्य देशों में रह रहे प्रवासी भारतीयों की गुलाल गोटे की मांग आ रही है। इन्हें चार, छह, आठ, दस की आकर्षक गोल्डन डिब्बे की पैकिंग कर भेजा जा रहा है। जगह-जगह होली महोत्सव में भी गुलाल गोटे की ऑर्डर मनिहारों को मिले हैं।
युवा पीढ़ी भी सीख रही है हुनर मनिहारों के रास्ते में पीढ़ी दर पीढी इस काम को बढ़ावा दिया जा रहा है। शहर में गिने चुने परिवार ही यह काम कर रहे हैं। समय के साथ मांग अधिक होने से युवा पीढ़ी भी इस काम का हुनर सीख रही है। कारगीरों का कहना है कि राज्य सरकार भी इस काम को प्रोत्साहन देें, यह काम शहर की शान है। त्रिपोलिया बाजार स्थित दुकानदारों का कहना है कि चार लाख रुपए से ज्यादा का कारोबार शहर में गुलाल गोटों का होता है।