इस एक वजह से अखाबर सहेज किया शुरु- दरअसल, इस कहानी की शुरुआत 12 से 13 पहले की है। जब सिहाग ने बताया कि उस दौरान उन्हें बीएड और अन्य नौकरी के आवेदन के लिए राजस्थान पत्रिका में छपी एक विज्ञप्ति की जरुरत थी। तो वहीं विज्ञप्ति नहीं मिल पाने के कारण वह नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर पाए, और ऐसे में उन्हें बीएड के लिए एक साल और इंतजार करना पड़ गया। जिसके बाद ही उन्होंने ये ठान ली कि चाहे जो हो वो अखबार को सहेज कर रखेंगे।
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जिसके बाद अब तक यानि लगभग 11 सालों से लगातार उनके पास अखबार सुरक्षित मिलेंगे। सबसे बड़ी बात उनकी इसी नेक शुरुआत के कारण आज प्रतियोगिता परीक्षा की तौयारी कर रहे छात्र जिन्हें कोर्ट या अन्य किसी संबंधित विज्ञप्ति की जरुरत होती है, वो इधर-उधर भटके बिना सीधे भगवान सिहाग के पास चले आते हैं, उनको यहां अपने काम की विज्ञप्ति आसानी मिल जाती है। तो वहीं सिहाग की मानें तो वो अखबार देते जरुर है, लेकिन उसकी फोटो कॉपी कराने के लिए। जिससे कि बाद में भी किसी को जरुरत हो तो उनके यहां से खाली हाथ नहीं लौटे। शुरुआत में सभी कहते थे… आज भी भले ही भगवान सिहाग के इस काम को उनके परिजनों का साथ मिल रहा है, लेकिन आपको बता दें कि पहले शुरुआती दिनों में उनके परिजन और दोस्तों ने कई बार उन्हें ऐसा करने रोका, बल्कि उन्हें कहा कि क्या रद्दी इक्कठा कर रहे हो। बावजूद इसके भगवान सिहाग ने सभी की बातों को नजरअंदाज करते हुए अखबार जमा करने का काम जारी रखा। जिसकी आज हर जगह चर्चा हो रही है।
चार हजार कॉपियां है सुरक्षित- बता दें कि भगवान सिहाग के कमरे में आज के दिन लगभग 4 हजार से ज्यादा कॉपियां सुरक्षित रखी हुई है। सबसे बड़ी बात कि उन्होंने यह सभी कॉपियां अपने लिए नहीं बल्कि उनलोगों के लिए संभाल कर रखी है, जिन्हें सालों पुरानी खबर जाननी हो या विज्ञप्ति और प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करनी होती है। तो वहीं उनकी यह पहल आज हजारों युवाओं के लिए वरदान साबित हो रही है।
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