
आशीष दीप श्रीवास्तव Rajasthan Water Crisis Solution : राजस्थान, भारत का सबसे बड़ा राज्य हर साल पानी की गंभीर समस्या से जूझता है। कभी यहां बावड़ी, जोहड़, बंधा, समंद, सरोवर और खादिन जैसे पारंपरिक जलस्रोत बड़ी संख्या में थे, जिससे भूजल स्तर संतुलित रहता था। लेकिन समय के साथ पाइपलाइन से पानी की आपूर्ति बढ़ी और भूजल का अत्यधिक दोहन शुरू हो गया। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में भूजल स्तर हर साल 10 मीटर तक गिर रहा है।
राजधानी जयपुर में गर्मी में पानी की मांग 75 करोड़ लीटर प्रतिदिन तक पहुंच जाती है, जबकि सिर्फ 55 करोड़ लीटर प्रतिदिन पानी की आपूर्ति हो पाती है। ऐसे में पानी की कमी एक गंभीर मुद्दा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक शहर में 10 से 11 करोड़ लीटर पानी रोजाना जमीन से निकाला जाता है, जो वाटर रीचार्ज होने की गति से 200 प्रतिशत ज्यादा है।
RO वाटर प्यूरीफायर, जो पानी को शुद्ध करने की एक प्रभावी तकनीक है, पानी की बर्बादी का भी बड़ा कारण बन रहा है। 1 लीटर पीने योग्य पानी बनाने के लिए 3 लीटर पानी बर्बाद होता है। यानी 75% पानी नाली में बह जाता है।
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) के अनुसार, पीने के पानी में TDS 500 मिलीग्राम/लीटर होना चाहिए, जबकि WHO 300 PPM की सिफारिश करता है। लेकिन TDS 50 PPM से कम नहीं होना चाहिए, वरना मिनरल्स की कमी हो सकती है। RO ज्यादा TDS निकाल देता है, जिससे पानी की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
RO से निकलने वाले वेस्ट वॉटर को सही तरीके से इस्तेमाल कर पानी की बचत की जा सकती है।
टॉयलेट फ्लशिंग में – RO वेस्ट वॉटर को फ्लश टैंक में स्टोर करके इस्तेमाल किया जा सकता है।
घर सफाई में – फर्श पोछने के लिए वेस्ट वॉटर का इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि इसमें हल्का सॉल्ट होता है, जो गंदगी हटाने में मदद करता है। वहीं अगर वॉटर हार्डनेस बहुत ज्यादा नहीं है, तो इसे बर्तन धोने में इस्तेमाल कर सकते हैं।
वाहन धुलाई में – गाड़ी धोने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन अधिक TDS होने पर इसे पतला कर लें।
बड़े पौधों और लॉन की सिंचाई में – गमले के पौधों के बजाय बड़े पेड़ों और लॉन में इसका उपयोग किया जा सकता है।
ड्रेनेज-कूलिंग के लिए – कूलर या अन्य कूलिंग सिस्टम में वेस्ट वॉटर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
टॉयलेट फ्लशिंग 15-20 450-600
घर की सफाई 10-20 300-600
गाड़ी की सफाई 10-20 300-600
गार्डनिंग 10-15 300-450
ड्रेनेज-कूलिंग 20-40 600-1200
सेंटर फॉर डेवलपमेंट कम्युनिकेशन के सचिव डॉ. विवेक अग्रवाल बताते हैं कि RO तकनीक प्रभावी है लेकिन पानी की बर्बादी को रोकने के लिए इसके वेस्ट वॉटर का सही उपयोग जरूरी है। सही तकनीक अपनाकर पानी की बचत की जा सकती है और हजारों रुपये बचाए जा सकते हैं। उनके मुताबिक RO टेक्नोलॉजी में सुधार के लिए नई अल्ट्रा नैनो तकनीक विकसित की जा रही है, जिससे पानी का वेस्टेज 30 फीसद से घटकर 5 फीसद तक आ सकता है। आने वाले वर्षों में महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात में वाटर प्यूरीफायर की मांग तेजी से बढ़ेगी।
वाटरऐड इंडिया के तकनीकी एक्सपर्ट शरजील खान के मुताबिक देश में पानी को प्यूरीफाई करने के लिए दूसरी तकनीक भी इस्तेमाल हो रही हैं, जो पानी में बैक्टीरिया कंटेमिनेशन को ट्रीट करती हैं और पानी को पीने लायक बनाती हैं। इनमें पानी की बर्बादी काफी कम है। आईआईटी कानपुर ने भी पानी के प्यूरीफिकेशन के लिए तकनीक विकसित की है, जो काफी सस्ती और टिकाऊ है। इसका इस्तेमाल व्यापक पैमाने पर भी हो रहा है।
अमेरिका की ट्रांसपेरेंसी मार्केट रिसर्च के अनुसार देश का वाटर प्यूरीफायर मार्केट 2030 तक 4 अरब डॉलर को पार कर जाएगा। इसका कम्पाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) 17.3 फीसद रहेगा। रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले साल में महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात जैसे राज्यों में वाटर प्यूरिफायर की डिमांड भी बढ़ेगी।
Updated on:
22 Apr 2025 02:14 pm
Published on:
22 Apr 2025 02:12 pm
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