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राजस्थान में झूठे केस के दवाब में दब जाते हैं अपराध के सही मामले

Rajasthan Crime News : राजस्थान में वर्ष 2024 में बड़ी संख्या में महिला अपराध से संबंधित मामले दर्ज हुए। बावजूद इसके महिला उत्पीड़न, छेड़छाड़ और अपहरण के मामले में आरोपी बच रहे हैं। पत्रिका महासर्वे में यह बात निकाल के सामने आई है कि कार्यस्थल पर कभी न कभी यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।

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Rajasthan True Cases of Crime Get Suppressed Under Pressure of False Cases Patrika Maha Survey

Rajasthan Crime News : राजस्थान में वर्ष 2024 में बड़ी संख्या में महिला अपराध से संबंधित मामले दर्ज हुए। पुलिस जांच में कई मामले झूठे निकले, उनमें अनुसंधान के बाद एफआर लगाई गई। लेकिन झूठे मामलों के बोझ तले कई असली मामले भी दबकर रह जाते हैं। वहीं पुलिस भी काम के बोझ के कारण ऐसे मामलों में सबूत तक नहीं जुटा पाती और बाद में इन मामलों में भी एफआर लगा देती है। ऐसे में पीड़ित न्याय मिलने से वंचित रह जाते हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो सामने आया कि सर्वाधिक झूठे मामले महिला उत्पीड़न में 3470 केस दर्ज हुए जिसमें 70 में एफआर, छेड़छाड़ में 3078 केस दर्ज हुए जिसमें 111 में एफआर लगीं वहीं बालिग रेप मामले में 94 और नाबालिग रेप के मामलों में 24 एफआर लगी।

केस 01… पड़ोसी युवक ने किया बलात्कार, बनाया वीडियो

5 जनवरी को पिता ऑफिस के काम से बाहर चले गए। मां खेतों में चारा लेने गई थी। दादी पुराने मकान में चली गई। इसी दौरान मौका देखकर पड़ोसी युवक ने नाबालिग के साथ बलात्कार किया। बताने पर माता पिता को जान से मारने और वीडियो वायरल करने की धमकी दी। 11 जनवरी को भी मां पौष बड़ा प्रसादी लेने चली गई। इसी दौरान आरोपी बेटी को ले गए और उसके साथ बलात्कार किया। बेटी को परेशान देख मां और भाभी ने पूछा तो उसने रोते हुए पूरी बात बताई। पिता का कहना है कि पड़ोसी युवक के घर वाले पैसा देकर मामला दबाना चाहते है और उन्हें दो करोड़ रुपए तक की ऑफर दी गई है। लेकिन वह चाहते हैं कि उनकी बेटी के साथ गलत हुआ है उसके लिए न्याय मिले और आरोपी को कड़ी सजा मिले। पुलिस प्रशासन ने अब तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं की जिसकी वजह से घर के लोग परेशान है।

1- 70 एफआईआर कुल 3470 झूठे एफआईआर महिला उत्पीड़न के मामले से
2- 111 एफआईआर लगी छेड़छाड़ के 3078 झूठे केस में वहीं बालिग से रेप मामले में 94 एफआईआर लगी

पत्रिका महासर्वे : 53 फीसद का मत जानें

53 फीसद का मत है कि कार्यस्थल पर कभी न कभी करना पड़ता है यौन उत्पीड़न का सामना। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में मानसिक प्रताड़ना एक गंभीर और प्रचलित समस्या है, जो अक्सर अनदेखी रह जाती है। पत्रिका महासर्वे के नतीजे बताते हैं कि परिवार से लेकर कार्यस्थल और सोशल मीडिया तक, महिलाओं को कभी न कभी यौन उत्पीड़न, असुरक्षा और इन कारणों से मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।

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गंभीर मामलों के केस ऑफिसर्स स्कीम के तहत लें

पोक्सो के मामलों में बालिका या बालक के बयान उसके परिजन या निकटम रिश्तेदार के समक्ष लेने चाहिए। पीड़िता बालिग है तो महिला अधिकारी द्वारा बयान लिया जाना चाहिए। रेप के बाद हत्या जैसे गंभीर मामलों को केस ऑफिसर्स स्कीम के तहत लेना चाहिए। घरेलू हिंसा को लेकर शीघ्र न्यायालय में वाद दायर करना चाहिए और थाने में एफआइआर दर्ज करवानी चाहिए। ऐसे कुछ उदाहरण हैं कि रेप के बाद हत्या के मामलों को केस ऑफिसर्स स्कीम में लिया गया और आरोपियों को फांसी तक की सजा सुनाई गई।
महावीर सिंह विश्वानत, अधिवक्ता

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