मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायाधीश उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने बलात्कार पीड़ित नाबालिग के मामले में अपील पर यह आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार, जांच एजेंसियां बलात्कार पीड़िताओं को गर्भपात के महत्वपूर्ण अधिकार के बारे में बाध्य नहीं हैं।
गाइडलाइन बनाने की आवश्यकता
कोर्ट ने उचित कानून बनने तक गाइडलाइन तय करने की आवश्यकता जाहिर करते हुए स्वप्रेरणा से याचिका दर्ज करने का आदेश दिया। खंडपीठ ने पीडिता को गर्भपात की अनुमति नहीं देने के एकलपीठ के आदेश पर दखल से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता 32 सप्ताह की गर्भवती है और अब गर्भपात से उसके जीवन को खतरा है, ऐसे में गर्भपात की अनुमति नहीं दी जा सकती।