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जयपुर। जोधपुर में मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट डॉक्टर ने आत्महत्या का प्रयास किया। रेजिडेंट ने कमरे में सल्फास की गोलियां खा ली। तबीयत बिगड़ने पर साथी डॉक्टरों ने उसे तुरंत एमडीएम अस्पताल पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने मरीज की स्थिति को गंभीर मानते हुए उसे जयपुर रेफर करने का फैसला लिया। क्योंकि जोधपुर मेडिकल कॉलेज और एम्स जोधपुर में ईसीएमओ सुविधा उपलब्ध नहीं थी।
रेजिडेंट की जान बचाने के लिए मेडिकल कॉलेज ने तत्काल पुलिस प्रशासन से मदद मांगी। जिसके बाद राजस्थान पुलिस की मदद से तत्काल जोधपुर से जयपुर तक ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया गया। आमतौर पर छह घंटे का सफर तय करना पड़ता है। लेकिन एंबुलेंस को केवल साढ़े तीन घंटे जयपुर पहुंचने में लगे। दोपहर एक बजे जोधपुर से रवाना हुई एंबुलेंस शाम करीब साढ़े चार बजे एसएमएस अस्पताल पहुंच गई।
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इस दौरान पुलिस पूरे मार्ग को आगे से आगे क्लियर रखा। जिससे एंबुलेंस को कोई रुकावट न आए। मरीज को रवाना करते समय प्रिंसिपल डॉ. बीएस जोधा, अधीक्षक डॉ . विकास राजपुरोहित समेत कई डॉक्टर मौजूद रहे।
इधर, जयपुर पहुंचने से पहले ही एसएमएस अस्पताल प्रशासन अलर्ट मोड में आ गया था। प्रिंसिपल की निगरानी में कार्डियोथोरेसिक वास्कुलर सर्जरी वार्ड में इलाज की पूरी तैयारी कर ली गई थी। राकेश को तुरंत सीटीवीएस वार्ड में भर्ती किया गया, जहां उसकी स्थिति लगातार मॉनिटर की जा रही है।
डॉक्टरों के अनुसार राकेश विश्नोई के फेफड़े और दिल की कार्यप्रणाली बुरी तरह प्रभावित हुई है। उसे ईसीएमओ मशीन पर रखा गया है ताकि ऑक्सीजन की कमी को पूरा किया जा सके और अंगों को ठीक से कार्य करने का मौका मिल सके। मशीन मरीज के शरीर से रक्त निकालती है, उसमें ऑक्सीजन मिलाती है, कार्बन डाइऑक्साइड निकालती है और फिर रक्त को वापस शरीर में भेजती है।
ईसीएमओ एक महत्वपूर्ण तकनीक है जो गंभीर मरीजों की जान बचाने में सहायक हो सकती है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक का उपयोग केवल उन्हीं मरीजों पर होता है, जिनके फेफड़े और दिल दोनों ठीक से कार्य नहीं कर रहे हों।
Published on:
14 Jun 2025 12:02 pm
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