पुलिस के अनुसार महिला ज्ञानज्योति के बारे में समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों को एक अज्ञात व्यक्ति के जरिए गुप्त सूचना मिली थी। इसके बाद समाज कल्याण विभाग की टीम कार्रवाई करने के लिए घटनास्थल पर पहुंची और वृद्धा को बचाया। जिला कलक्टर दिनेश पोनराज ओलिवर ने बताया कि वृद्ध महिला को तंजावुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पड़ोसियों ने शुक्रवार को अधिकारियों को सूचित किया था कि बेटों ने अपनी मां के लिए अलार्म लगा रखा था क्योंकि वे दोनों ही कहीं और रहते थे। जब भी वृद्धा को भूख लगती तो वह अलार्म बजा देती थी। अलार्म की आवाज सुनकर पड़ोसी वृद्धा के लिए बंद मकान में बिस्कुट या फल डाल देते थे। हालांकि पड़ोसियों को काफी पहले से इस बारे में पता था, लेकिन उन्होंने डर के कारण इस बारे में किसी को नहीं बताया और मामले को दबाए रखा।
चाबी नहीं दी तो मकान को तोड़ा
दोनों भाइयों में मां को जिस मकान में बंद कर रखा था, उस पर हमेशा ताला लगा रहता था। पुलिस की मदद से समाज कल्याण विभाग के अधिकारी व कर्मचारी जब मौके पर पहुंचे, तो दोनों बेटों की ओर से चाबी उपलब्ध करवाने से साफ इनकार कर दिया गया। इस पर समाज कल्याण विभाग के कर्मचारियों ने वृद्ध महिला को मकान से बाहर निकालने के लिए मकान में तोड़-फोड़ की, तब कहीं जाकर वृद्ध महिला को बाहर निकाला जा सका।
भाई पर लगाया आरोप
पुलिस ने बताया कि वृद्धा को करीब एक दशक से मकान में बंद रखने के मामले के खुलासे के बाद बड़े बेटे शनमुगसुंदरम ने छोटे भाई पर आरोप लगाया कि वह हर महीने अपनी मां की करीब 30,000 रुपए की पेंशन का उपयोग कर रहा था। इसलिए वही मां की इस हालत के लिए जिम्मेदार है।
पुलिस ने बताया कि वृद्धा को करीब एक दशक से मकान में बंद रखने के मामले के खुलासे के बाद बड़े बेटे शनमुगसुंदरम ने छोटे भाई पर आरोप लगाया कि वह हर महीने अपनी मां की करीब 30,000 रुपए की पेंशन का उपयोग कर रहा था। इसलिए वही मां की इस हालत के लिए जिम्मेदार है।