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जयपुर

देश में सवाल पूछने और कागज देखने के आंदोलन की शुरुआत

देश में सवाल पूछने और कागज देखने के (rti news) आंदोलन की शुरुआत मध्य राजस्थान के मजदूरों और वंचित लोगों ने कुछ वर्ष पहले की।

जयपुरOct 11, 2020 / 09:59 pm

vinod sharma

देश में सवाल पूछने और कागज देखने के आंदोलन की शुरुआत

देश में सवाल पूछने और कागज देखने के आंदोलन की शुरुआत

सूचना अधिकार अधिनियम की 15वीं वर्षगांठ आज

गेस्ट राइटर

अरुणा रॉय

देश में सवाल पूछने और कागज देखने के (rti news) आंदोलन की शुरुआत मध्य राजस्थान के मजदूरों और वंचित लोगों ने कुछ वर्ष पहले की। यह आन्दोलन पूरे देश में फैला और राज्यों में कानून बनते-बनते 5 में देश में सूचना का अधिकार कानून बना। इस कानून की दुनिया भर में सराहना हुई। बाद में इसे कमजोर करने की कोशिशें की गईं, लेकिन नागरिकों ने हमेशा से कमजोर होने से बचाया। आज भारत में हर साल 7 से 8 लाख लोग सूचना के अधिकार की अर्जी डालते हैं। इस कानून की इतनी गहराई और धार है कि जो शक्ति के केंद्र में बैठे हुए हैं। उन्हें इस कानून से बहुत डर लगता है। अधिकतर सरकारें आज भी सूचना के अधिकार से संकोच करती हैं।
दरअसल सरकारें अभिव्यक्ति के अधिकार से ही घबराती हैं। आज देश में केंद्र सरकार ने चारों तरह भय का माहौल बना रखा है, देश के नागरिक अपना भिन्न मत प्रतिष्ठित करना चाहे, कहीं धरना-प्रदर्शन या आंदोलन करना चाहे या पत्रकार कडवी सच्चाई छापना चाहे तो उन्हें देशद्रोह, आतंकवाद निरोधी जैसे कानूनों में अंदर डाल दिया जाता है ताकि इनका हमेशा के लिए मुंह बंद हो जाए और दूसरों में भी भय पैदा हो। आज सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति के अधिकार को बचाने की जरूरत है।
आज सब कुछ कंप्यूटराइज और डिजिटलाइज हो चुका है और भारत सरकार से लेकर सारी राज्य सरकारें डिजिटल गवर्नेंस की बात कर रहे। ऐसा कोई कारण नहीं है कि सूचनाएं सबके लिए खुली ना की जा सकें। आज अधिकतर सूचनाएं डिजिटल उपलब्ध हैं लेकिन उन्हें मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम (एमआइएस) के तहत सरकार के अफसर ही देख सकते हैं। जनता इसे नहीं देख सकती है। सूचना के अधिकार की धारा 4 (2) के तहत सारी सूचनाएं जनता के लिए खुली होनी चाहिए।
राजस्थान सरकार ने जन भागीदारी के साथ जन सूचना पोर्टल बनाकर एक बहुत सराहनीय कदम उठाया है, जिसमें धारा 4 की सूचनाएं प्रदर्शित की है। इस पोर्टल पर आज तक राजस्थान सरकार ने 41 विभागों की विभिन्न सूचनाओं को प्रदर्शित किया है जिसे लगभग 2 लाख बार खोला गया है और 3 करोड़ से अधिक सूचनाएं देखी हैं। इसमें किसी भी विभाग के किसी भी काम को जैसे अधिकारी देखते हैं वैसे जनता भी देख सकती है। यह पोर्टल सबसे पहले राजस्थान ने बनाया है और इस प्रकार से सूचना प्रदर्शित करने की व्यवस्था सभी राज्यों में होनी चाहिए।
आज केन्द्रीय सूचना आयोग में ….. अपील और शिकायत लंबित और इसी प्रकार विभिन्न राज्य सूचना आयोगों में हजारों अपील और शिकायत लंबित हैं. इन आयोगों में आयुक्तों की नियुक्तियां नहीं की जा रही हैं जिससे लंबित मामले बढ़ते जा रहे हैं जो कि कानून का उल्लंघन है। यदि आयुक्त नियुक्त कर दिए जाएंगे तो वे समय पर लोगों को सूचना दिलवाएंगे और व्यवस्था की खामियां उजागर हो जाएंगी। यदि केंद्र और राज्य सरकारें जिनमें राजस्थान सरकार भी शामिल है यदि गंभीर हैं तो आयुक्तों की नियुक्ति तुरंत करे जिससे कोविड के समय पर लोगों को सूचना समय पर मिल सके। इस कानून की लोकप्रियता इतनी है कि कोई भी सरकार इसे हटा नहीं सकती है। देश के नागरिकों और भी मजबूती से सूचना के अधिकार के आवेदन लगाने होंगे और केंद्र और राज्य सरकारों पर दवाब डालना होगा तभी सूचना के अधिकार को हम सशक्त कर पाएंगे.
अरुणा रॉय

मजदूर किसान शक्ति संगठन एवं एनसीपीआरआई की संस्थापक सदस्य

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