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Jaipur Geeta Mahakumbh: देशभर के संतों ने श्रीमद्भगवद्गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की उठाई मांग

Saint Community Demand: गीता महाकुंभ में अनेक संतों, समाजसेवियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में विश्वभर में जिहादी तत्वों ने निर्दोष हिन्दुओं की हत्याओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की।

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Geeta-Mahakumbh

फोटो: पत्रिका

Geeta Mahakumbh: योगेश्वर श्रीकृष्ण और उनके ओर से सम्पूर्ण मानवता को दिया गया श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान सनातन धर्म का सबसे प्रचंड प्रकाश स्तंभ है। यह उदबोधन रविवार को राजापार्क आदर्शनगर स्थित राम मंदिर में आयोजित गीता महाकुंभ में शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने दिए। इस दौरान पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा, गीता महाकुंभ के मुख्य संयोजक पंडित विजय कौशिक, राजू बॉक्सर और समाजसेवी चंद्रप्रकाश भाड़ेवाला ने भी विचार रखे।

कार्यक्रम का संचालन एडवोकेट चंद्रप्रकाश खेतानी ने किया। गीता महाकुंभ में अनेक संतों, समाजसेवियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में विश्वभर में जिहादी तत्वों ने निर्दोष हिन्दुओं की हत्याओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की। वक्ताओं ने कहा कि सोशल मीडिया पर बांग्लादेश में हो रहे निर्दोष हिन्दुओं के नरसंहार की तस्वीरों ने सम्पूर्ण हिन्दू समाज को विचलित कर रखा है। साथ ही लव जिहाद के नाम पर हिन्दू बहन-बेटियों की दुर्दशा पर भी गहन चिंता व्यक्त की गई। यदि सनातन धर्मावलंबियों को सम्मान और स्वाभिमान के साथ जीवित रहना है तो उन्हें पुनः योगेश्वर श्रीकृष्ण के मार्ग—यज्ञ, दान और तप—पर लौटना होगा।

गोमाता, सनातन और हिंदुत्व को बचाना होगा

संतों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में सेना भेजकर इन देशों का विभाजन कर वहां हिन्दुओं के लिए अलग राष्ट्र का निर्माण कराया जाए, अन्यथा वहां के हिन्दुओं को बचा पाना असंभव होगा। राष्ट्रीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित विजय कौशिक ने कहा कि यदि देश को बचाना है तो गोमाता, सनातन और हिंदुत्व को बचाना होगा। उन्होंने कहा कि आजादी के समय पाकिस्तान में हिन्दुओं की संख्या अधिक थी, जो आज लगभग समाप्त कर दी गई है।

युवाओं ने लिया संकल्प

आयोजन समिति के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश भाड़ेवाला ने भी सनातन गौरव रत्न सम्मान पर बात रखी। यति सत्यदेवानंद, संत मंगल दास, संत गोपालशरण, संत भरतदास, संत रामबलकदास, संत जमदग्नि गिरि, साध्वी समदर्शी, संत गिरधर सहित प्रेम प्रजापत, शंकर शर्मा, रामानुज शर्मा ने गीता महाकुंभ में संयुक्त रूप से भारत सरकार से श्रीमद्भगवद्गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग की। कार्यक्रम के अंत में अपार युवा शक्ति ने धर्म रक्षा के लिए पूर्ण निष्ठा से संकल्प लिया।