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क्रीमी लेयर सिद्धांत अजा-अजजा पर लागू नहीं हो सकता

सुप्रीम कोर्ट: केंद्र ने किया पुनर्विचार का अनुरोध, सात सदस्यीय पीठ को भेजें मामला

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जयपुर

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Anoop Singh

Dec 03, 2019

क्रीमी लेयर सिद्धांत अजा-अजजा पर लागू नहीं हो सकता

क्रीमी लेयर सिद्धांत अजा-अजजा पर लागू नहीं हो सकता


सुप्रीम कोर्ट: केंद्र ने किया पुनर्विचार का अनुरोध, सात सदस्यीय पीठ को भेजें मामला, कहा...


नई दिल्ली.
केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) की क्रीमी लेयर को आरक्षण के लाभों से बाहर रखने वाले 2018 के आदेश को पुनर्विचार के लिए सात सदस्यीय पीठ के पास भेजा जाए। केंद्र ने कहा कि क्रीमी लेयर के सिद्धांत को अजा और अजजा पर लागू नहीं किया जा सकता है। इस मुद्दे पर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अजा और अजजा की क्रीमी लेयर को आरक्षण के लाभ से बाहर रखने या न रखने के पहलू पर दो सप्ताह के बाद विचार किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 2018 में कहा था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के समृद्ध लोग यानी क्रीमी लेयर को कॉलेज में दाखिले तथा सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता।

समता आंदोलन की नई याचिका
समता आंदोलन समिति और पूर्व आइएएस अधिकारी ओपी शुक्ला ने नई याचिका दायर की है। एक जनहित याचिका में अजा-अजजा की क्रीमी लेयर की पहचान के लिए तर्कसंगत जांच करने और उन्हें अजा-अजजा की नॉन क्रीमी लेयर से अलग करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। उधर, मामले में अनुसचित जाति में निर्धनों की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने कोर्ट से मामले को फिर से नहीं खोलने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, संवैधानिक पीठ मामले का निपटारा कर चुकी है।

सुप्रीम कोर्ट का सितंबर, 2018 का फैसला
- क्रीमी लेयर की अवधारणा एससी- एसटी को दिए जाने वाले आरक्षण में लागू होगी। संवैधानिक कोर्ट किसी भी क्रीमी लेयर को दिए आरक्षण को रद्द करने में सक्षम है।
-नागराज मामले में फैसले के उस हिस्से पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता नहीं है, जिसने अजा और अजजा के लिए क्रीमी लेयर की कसौटी लागू की थी।
-राष्ट्रपति की अपनी सूची में किसी भी जाति को एससी-एसटी के रूप में शामिल कर सकती है। ऐसे में उस समूह में क्रीमी लेयर का सिद्धांत बराबरी की कसौटी पर लागू किया जा सकता है।
- आरक्षण का पूरा उद्देश्य यह है कि पिछड़ी जातियां अगड़ों से हाथ में हाथ मिलाकर बराबरी के आधार पर आगे बढ़े।
-यह संभव नहीं होगा यदि किसी वर्ग में क्रीमी लेयर सभी प्रमुख सरकारी नौकरियां ले जाए तथा शेष वर्ग को पिछड़ा ही छोड़ दे, जैसा वे हमेशा थे।
- अनुच्छेद 14 और 16 की अनुच्छेद 341 तथा 342 के साथ सौहार्दपूर्ण व्याख्या करते हुए यह साफ है कि संसद को इस बात की पूर्ण आजादी है कि वह किसी समूह को राष्ट्रपति की सूची से संबंधित कारकों पर बाहर और अंदर कर सकती है।

अभी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में क्रीमीलेयर को ही आरक्षण संबंधी लाभ का प्रावधान नहीं है।