पिता ने दी जीवन की सीखएक बार इन्हें लाइव परफॉर्मेंस का मौका मिला। इनके प्रदर्शन की लोगों ने जमकर प्रशंसा की। इस परफॉर्मेंस से ही इन्हेें अपने पैशन के बारे में पता चला कि आखिर वे क्या कर सकती हैं। इसी बीच पिता दीवालिया हो गए और घर का अधिकतर सामान बिक गया। माता-पिता ने इन्हें कुछ दिनों तक रिश्तेदार के घर भेज दिया। जब वापस आई तो जीवन की हकीकत समझाने के लिए पिता इन्हें एक लोकल पार्क में ले गए जहां अनाथ बच्चे रहते थे। वह जगह बहुत गंदी थी। यह देखकर इन्हें बहुत दुख हुआ। तब इन्होंने मन में ठानी में एक दिन बड़ा कलाकार बनकर इन बच्चों की सहायता स्वयं करूंगी। 10 से 13 साल की उम्र में इन्हें कई इवेंट्स में सिंगिंग के लिए बुलाया जाने लगा था। [typography_font:14pt;” >इनका जन्म 1977 में कोलंबिया में हुआ था। ये अपने माता-पिता की इकलौती संतान है। चार साल की उम्र में ही इन्होंने कविता लिख डाली थी। बचपन में पिता को टाइपराइटर पर काम करते हुए देखना बहुत पसंद था। इन्हें टाइपराइटर इतना अच्छा लगता था कि एक बार पिता से क्रिसमस के गिफ्ट में टाइपराइटर ही मांग लिया। ये भी टाइपराइटर के माध्यम से अपनी कविताएं लिखना चाहती थी। फिर एक दिन पिता ने इन्हें टाइपराइटर गिफ्ट किया। उस समय इनकी उम्र सात साल थी। ये इतनी खुश हुई कि तोहफा मिलते ही उस पर कविता लिखने लगी। इसके बाद ये लंबे समय तक कविताएं लिखती रही, जो आगे इनके गीत भी बनें। जब ये दो साल की थी तो एक मोटरसाइकिल दुर्घटना में इनका छोटा भाई मर गया था। छह साल बाद, जब आठ साल की हुई तो इस संबंध में इन्होंने अपना पहला गीत लिखकर पिता को उस दुख से बाहर निकालने में मदद की। फस्र्ट क्लास में ही ये स्कूल में गाने लगी थी। बैली डांसिंग में भी इनकी बहुत रुचि थी लेकिन जब ये सेकंड ग्रेड में आई तो समुह गान के लिए इनका चुनाव नहीं किया गया। टीचर्स ने यह कहते हुए मना किया कि आवाज बहुत भारी है। यहां तक कि म्यूजिक टीचर ने इनकी आवाज को बकरी के समान बताकर मजाक बनाया। इसके बावजूद भी ये निराश नहीं हुई और गायन में क्षेत्र में अभ्यास करती रही। स्कूल में इन्हें बैली डांसर गर्ल के रूप में भी जाना जाता था।13 साल की उम्र में पहली रिकॉर्डिंगइनके टैलेंट को देखते हुए 1990 में सोनी म्यूजिक कोलंबिया ने इन्हें उन्हें रिकॉर्डिंग का ऑफर दिया। उस समय इनकी उम्र 13 साल ही थी। ये गीत आठ साल की उम्र में लिखी हुई इनकी कविताओं पर ही आधारित थे। 1991 में इनका एल्बम रिलीज हुआ, जिसके कोलंबिया रेडियो पर आने के बाद इन्हें बहुत बड़ा एक्सपोजर मिला। इसके बाद इनके दो एल्बम आए लेकिन वे असफल रहे। इन्होंने खुद के ब्रांड में संगीत का निर्माण करने का फैसला किया। 1994 में इन्होंने पीएस देस्काल्सोस एल्बम निकाला, जिसे लैटिन अमरीका और स्पेन में खूब प्रसिद्धि मिली। 1996 में आए इनके एल्बम को दुनियाभर में 60 लाख से अधिक लोगों ने देखा। इसके बाद इनके कई एल्बम हिट हुए। दो बार ग्रैमी पुरस्कार, सात लैटिन ग्रैमी पुरस्कार जीतने वाली ये गायिका शकीरा इजाबेल मेबारक रिपोल है, जिन्हें दुनिया शकीरा के नाम से जानती है। गोल्डन ग्लोब पुरस्कार के लिए भी ये नामित हो चुकी हैं। यह दूसरी सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली लैटिन गायिका है, जिनके अभी तक 50 मिलियन से भी ज्यादा एल्बम दुनियाभर में बिक चुके हैं। शकीरा का मशहूर गाना ‘वाका वाका’ 2010 फुटबॉल विश्व कप के अधिकृत गाने के रूप में चुना गया था। सफल गायिका के साथ ही शकीरा समाजसेवी भी हैं।