
Paper Leak Case : जयपुर। उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा पेपरलीक व डमी अभ्यर्थी से परीक्षा दिलाने के मामले में गिरफ्तार 11 प्रशिक्षु थानेदार व जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट में तैनात एक कांस्टेबल को जमानत पर रिहा करने का आदेश देकर जयपुर महानगर-द्वितीय क्षेत्र के मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट न्यायालय ने एसओजी को झटका दिया।
एसीबी के बिना नोटिस दिए गिरफ्तारी करने और पकड़े जाने के 24 घंटे में पेश नहीं करने का मामला सामने आने पर कोर्ट ने कहा कि एसओजी को मूल अधिकारों के हनन का लाईसेंस नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने गृह सचिव और डीजीपी से इस मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को भी कहा।
जयपुर महानगर-द्वितीय क्षेत्र के मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट पूनाराम गोदारा ने शुक्रवार को प्रशिक्षु थानेदार एसआई सुरेंद्र, दिनेश, भालाराम, राकेश, सुभाष, अजय, जयराज, मनीष, मंजू, चेतन, हरखू और कांस्टेबल अभिषेक की ओर से पेश प्रार्थना पत्र पर उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा कि एसओजी को आरोपियों की पेशी के लिए तय प्रावधानों की पालना करने का निर्देश दिया, लेकिन एसओजी अधिकारी इनकी पालना के प्रति गैर जिम्मेदार रहे। एसओजी ने सीआरपीसी की धारा 57 व धारा 41 ए के प्रावधानों का पालन भी नहीं किया।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि एसओजी अधिकारियों को शायद अदालती कार्रवाई से डर नहीं लगता। कोर्ट इन दलीलों पर नहीं जाना चाहती कि मामला पूरी तरह राजनीतिक है और आरोपियों को एक समुदाय विशेष का होने के चलते टारगेट किया है। कोर्ट केवल संवैधानिक व कानूनी प्रावधानों पर ही जा रहा है।
प्रार्थना पत्र में अधिवक्ता विपुल शर्मा व अन्य ने अदालत को बताया कि 11 ट्रेनी एसआइ को 2 अप्रेल व अभिषेक को 31 मार्च को हिरासत में लेकर 3 अप्रेल की शाम को गिरफ्तार दिखाया। गिरफ्तारी से पूर्व सीआरपीसी की धारा 41-क का नोटिस देने और आरोपियों को 24 घंटे में अदालत में पेश करने के प्रावधान का पालन नहीं किया। जांच अधिकारी और सरकारी वकील ने कहा कि जांच एजेंसी को संदिग्ध व्यक्ति से पूछताछ का अधिकार है।
Published on:
13 Apr 2024 07:12 am
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