
फाइल फोटो
हाईकोर्ट में राजस्थान सरकार ने पेपरलीक को लेकर कहा कि पुलिस उपनिरीक्षक (एसआई) भर्ती-2021 के समय प्रक्रियागत खामी नहीं रही, इसलिए भर्ती रद्द नहीं की जा सकती। बहस अधूरी रहने पर कोर्ट ने सुनवाई बुधवार तक टाल दी। साथ ही कि कहा कि मामला साधारण नहीं है, सरकार सुनवाई के समय भर्ती से संबंधित नोटशीट सहित पूरा रिकॉर्ड लेकर आए आवश्यकता होने पर उसे देखा जाएगा।
न्यायाधीश समीर जैन ने इस मामले को लेकर कैलाश चन्द्र शर्मा व अन्य की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने प्रार्थना पत्र पेश कर कोर्ट के सोमवार के आदेश पर आपत्ति जताई। इसमें महाधिवक्ता ने कहा कि सोमवार को कोर्ट ने उनसे भर्ती में गड़बड़ी के बारे में पूछा, जिस पर जवाब दिया कि ऐसा नहीं होता तो दोषियों को हटाने की कार्रवाई नहीं करते, लेकिन इतनी गड़बड़ी भी नहीं हुई कि भर्ती प्रक्रिया ही रद्द कर दी जाए। ऐसे में भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी के संबंध में उनकी सहमति को हटाया जाए।
इस प्रार्थना पत्र के आधार पर मंगलवार को कोर्ट ने सोमवार के आदेश को संशोधित कर दिया। साथ ही, टिप्पणी की कि राज्य सरकार अभी भी भर्ती की पारदर्शिता भंग होना नहीं मान रही, जबकि मामला गंभीर है। इसमें आरपीएससी सदस्यों की गिरफ्तारी हो चुकी और कोचिंग सेंटरों की भी लिप्तता है।
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उधर, महाधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने पूर्व में याचिका दायर किए जाने का तथ्य छिपाया और यह भी स्पष्ट नहीं किया कि बिना आरटीआइ उनके पास सरकारी दस्तावेज कहां से आए। याचिका में मंत्रिमंडलीय उप समिति के निर्णय को चुनौती भी नहीं दी। सरकार सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर भर्ती रद्द नहीं करने का निर्णय कर चुकी। ऐसे में याचिकाएं सारहीन मानते हुए खारिज कर दी जाएं।
चयनित अभ्यर्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर ने कहा कि यह साधारण मामला है। सीएम के स्तर पर भर्ती रद्द नहीं करने का फैसला लिया जा चुका और याचिका में उसे चुनौती नहीं दी गई, ऐसे में याचिका खारिज कर दी जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि मामला साधारण नहीं है, हम याचिका की मैरिट के साथ उसकी सुनवाई के बिन्दु पर भी आपका पक्ष सुन रहे हैं।
Updated on:
09 Jul 2025 06:28 am
Published on:
09 Jul 2025 06:27 am
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