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स्मार्ट सिटी बदहाल : 420 प्रोजेक्ट, छह साल में 270 पूरे, 6 माह में 150 कैसे होंगे पूरे?

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की पोल खोलती हकीकत

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स्मार्ट सिटी बदहाल : 420 प्रोजेक्ट, छह साल में 270 पूरे, 6 माह में 150 कैसे होंगे पूरे?

स्मार्ट सिटी बदहाल : 420 प्रोजेक्ट, छह साल में 270 पूरे, 6 माह में 150 कैसे होंगे पूरे?

जयपुर। प्रदेश के शहरों को स्मार्ट सुविधाओंं से लैस करने का केन्द्र सरकार का ख्वाब हकीकत नहीं बन पा रहा है। स्मार्ट सिटी के लिए जो कंसेप्ट तय किए, उन पर अफसरों की मनमानी और नेताओं की राजनीति हावी होती गई। नतीजा, निर्धारित कंसेप्ट प्रभावी तरीके से पूरा नहीं हो पाया है। हालात यह है कि प्रोजेक्ट में शामिल जयपुर, कोटा, उदयपुर और अजमेर शहर में 420 परियोजना शामिल है, लेकिन अभी तक केवल 270 पूरी हो पाई है।

जबकि, मार्च 2023 में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की मियाद खत्म हो जाएगी। ऐसे में अगले छह माह में 150 परियोजना पूरी करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। अधूरा काम होने पर केन्द्र सरकार द्वारा फंडिंग रोकने की तलवार भी लटकी हुई है। राजस्थान पत्रिका ने स्मार्ट सिटी की परिकल्पना और हकीकत का आकलन किया तो सामने आया कि नेता-जनप्रतिनिधियों को खुश करने के चक्कर में ऐसे हालात बने हैं।

जयपुर में 38 फीसदी, उदयपुर 86 प्रतिशत प्रोजेक्ट पूरे

प्रोजेक्ट पूरे करने में जयपुर लगातार सबसे निचले पायदान पर है। जयपुर शहर में कुल निर्धारित प्रोजेक्ट सूची में से केवल 38 फीसदी का काम पूरा हो पाया है जबकि उदयपुर ने 86 प्रतिशत प्रोजेक्ट पूरे कर लिए हैं। अजमेर और कोटा भी जयपुर से आगे हैं। केन्द्र स्तर पर फंडिंग के मामले में भी जयपुर को उदयपुर स्मार्ट सिटी के मुकाबले अब तक कम रोकड़ मिल पाई है। जयपुर स्मार्ट सिटी में लगातार प्लानिंग, डीपीआर में बदलाव और नेताओं के हस्तक्षेप के कारण यह हालात बने हैं।

मिशन में प्रोजेक्ट्स की यह स्थिति-420 प्रोजेक्ट शामिल हैं इसमें

-270 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके

-150 परियाेजनाओं में काम चल रहा है

यह है काम की स्थिति

स्मार्ट सिटी--प्रोजेक्ट--पूरे हुए--अधूरे

उदयपुर————— 106—————93—————15

जयपुर—————— 132————51—————81

कोटा——————— 73————45—————28

अजमेर——————107————81———— 26

मंत्री पर भारी नेता

नगरीय विकास मंत्री स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग तो कर रहे हैं लेकिन इसमें स्थानीय नेताओं के हस्तक्षेप को कम नहीं कर पा रहे। यही कारण है कि जयपुर शहर में प्रोजेक्ट की प्लानिंग लगातार बदलने की नौबत आती रही। शहर में पिछले एक-डेढ़ साल में इस तरह के हालात सामने आते रहे हैं। यह मामला केन्द्र सरकार तक पहुंच चुका है।