ऐसे में 1 हजार की रोजाना ओपीडी और 350 बेड वाले इस सुपर स्पेशयलिटी ब्लॉक में पार्किंग नहीं होने से मरीज व उनके परिजन ट्रॉमा सेंटर या सड़क पर अपना वाहन खड़ा करने को मजबूर हो रहे हैं। सुपर स्पेशयलिटी ब्लॉक में वाहन लेकर प्रवेश करने पर गार्ड हाथ से इशारा कर ही रोक देते है और मरीज व उनके परिजन को ट्रॉमा सेंटर या सड़क पर वाहन खड़ा करने को कहते है। इससे कई बार तो मरीज व परिजन पहले तो पार्किंग ढूंढते रहते है और अधिकत्त्र तो सड़क पर ही वाहन खड़ा कर देते है।
आंगतुकों को ना,स्टाफ को हां
सुपर स्पेशयलिटी ब्लॉक के बेंसमेंट में और बाहर कुछ जगह है। लेकिन इस जगह पर सिर्फ स्टाफ ही पार्किंग कर सकता है। ग्राउंड फ्लोर और बेसमेंट के करीब 50 वाहन खड़े हो सकते है लेकिन यह जगह पर्याप्त नहीं होने से स्टाफ भी वाहन खड़े नहीं कर पाता।
बेसमेंट में सीवरेज व कचरा प्रबंधन को लेकर पाइपलाइन व चैंबर होने से पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। वहीं जिस ट्रॉमा सेंटर के बेसमेंट की पार्किंग का उपयोग करने को कहा जाता है, उसकी खुद की ओपीडी,आइपीडी है। स्टाफ के वाहन वहीं खड़े रहते है। इसलिए अगर कोई ट्रॉमा में वाहन पार्क करना भी चाहता है तो उसे जगह नहीं मिलती है। मजबूरी में ब्लॉक में आने वाले मरीज व उनके परिजनों को ट्रॉमा में पार्किंग नहीं मिलने पर वह सड़क पर ही वाहन पार्क कर देते हैं।
जबकि 320 बेड,50 आइसीयू व 45 डायलिसीस टेबल वाले इस भवन में रोजाना की संख्या में हजारों की संख्या में वाहनों की आवाजाही हो रही है। नेफ्रोलॉजी,यूरोलॉजी,गेस्ट्रो और हिप्टो पेनक्रिएटो बिलेरी सर्जरी विभाग को एसएमएस से यहां शिफ्ट करने से रोजाना करीब एक हजार मरीजों की यहां ओपीडी है।
जगह की कमी
पहले यहां दो विधायक आवास थे। जिन्हें लेकर इस सुपर ब्लॉक भवन को बनाया गया है। जगह की कमी से ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग की जगह नहीं निकल सकी। जो जगह निकली वहां यहां के स्टाफ के वाहन खड़े होते है। बेसमेंट में कचरा प्रबंधन से जुड़ी पाइपलाइन है तो पार्किंग संभव नहीं है। आने वाले मरीज वैकल्पिक तौर पर ट्रॉमा सेंटर में वाहन खड़ा कर सकते हैं।
डॉ.विनय मल्हौत्रा,अधीक्षक,एसएमएस अस्पताल