मशीन पर जीपीएस सिस्टम लगाने के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से संबंधित संस्थान को कोड दिया जाएगा, जिसको दर्ज करने के बाद ही मशीन प्रारम्भ होगी तथा इसकी जानकारी विभाग को जैसे ही मशीन शुरू होगी वैसे ही मिल जाएगी। सोनोग्राफी की सारी हलचल विभाग के पास दर्ज होती रहेगी। इसी तरह जिस मरीज की सोनोग्राफी की जाएगी, उसको भी पंजीयन रसीद दिए जाने के निर्देश हैं।