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राज्य सरकार भी मानती है कुक-कम हैल्‍पर्स का मानदेय कम

केन्द्र सरकार को लिखा पत्र, केन्द्रीय मद में दस साल से नहीं हुई बढोतरी

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राज्य सरकार भी मानती है कुक-कम हैल्‍पर्स का मानदेय कम

राज्य सरकार भी मानती है कुक-कम हैल्‍पर्स का मानदेय कम

जयपुर. प्रदेश के विद्यालयों में मिड—डे—मील पकाने वाले 1 लाख, 9 हजार कुक—कम—हैल्पर्स मानदेय के केन्द्रीय मद में बीते दस सालों में कोई बदलाव नहीं हुआ। राज्य सरकार ने दो बार बढोतरी कर दी और मानदेय बढोतरी के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा है। विधानसभा में अताराकिंत प्रश्न के माध्यम से विधायक पब्बाराम ने प्रदेश के विद्यालयों में मिड-डे मील पकाने वाले कुक—कम—हैल्पर्स को लेकर सवाल किए। इसके जवाब में बताया कि मिड-डे मील योजनान्‍तर्गत भोजन पकानें के लिए संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति नही की गई है,बल्कि भारत सरकार के निर्देशानुसार विद्यालयों में पोषाहार पकाये जाने के लिए वर्ष 2010 से कुक-कम हैल्‍पर की सेवायें मानदेय के आधार पर ली जा रही हैं। कुक-कम हैल्‍पर का मानदेय भारत सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है। भारत सरकार के निर्देशानुसार पोषाहार पकाने के लिये कुक-कम हैल्‍पर्स को अप्रेल, 2017 से पूर्व तक 1000/- रूपये प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा था, जिसे केन्‍द्र मद एवं राज्‍य मद में से क्रमश: 600:400 रुपए वहन किया जा रहा था। 01 अप्रेल, 2017 से राज्‍य सरकार की ओर से अपने स्‍वयं के संसाधनों से इनके मानदेय में 200/- रूपये प्रतिमाह की वृद्धि करते हुए 1200/-रूपयें प्रतिमाह मानदेय कर दिया गया, जिसमें केन्‍द्रीय मद 600/- तथा राज्‍य मद 600/-रूपये प्रतिमाह/प्रति व्‍यक्ति मानदेय दिया जाने लगा। राज्‍य सरकार की ओर से अपने स्‍वयं के संसाधनों से 01 जुलाई, 2018 से कुक-कम हैल्‍पर्स के मानदेय में 10 प्रतिशत की बढौतरी करते हुए 1320/- रूपयें प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है, जिसमें भारत सरकार की ओर से 600/- रूपये तथा राज्‍य सरकार द्वारा 720/- रूपये प्रति कुक-कम हैल्‍पर प्रतिमाह वहन किया जा रहा है। जवाब में बताया कि भारत सरकार की ओर से मानदेय बढाये जाने के संबंध में निर्देश प्राप्‍त होते हैं, राज्‍य में भी नियमानुसार कार्यवाही पूर्ण कर दी जाएगी। कुक-कम हैल्‍पर को नियमित करने का प्रावधान नही है। कुक-कम हैल्‍पर्स के मानदेय में वृद्धि के लिए भारत सरकार को समय-समय पर लिखा गया है। राज्य सरकार की ओर से भेजे गए पत्र में बताया कि केन्द्रीय मद में दस साल से कोई बढोतरी नहीं की गई है। वर्तमान महंगाई में किसी भी परिवार का इस राशि से पालन पोषण सम्भव नहीं है। कार्यरत अधिकतर कुक कम हेल्पर गरीब परिवारों से है। इसमें से अधिकांश विधवा व परित्यकता महिलाएं है। अगर इनका मानदेय बढाया जाता है तो इनका आर्थिक स्तर सुधरेगा और कार्य में अधिक रूचि लेंगी।